
नई दिल्ली, (आईएएनएस)| नाराज चल रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाने में कांग्रेस अगर सफल नहीं हुई तो भाजपा उन्हें राज्यसभा भेजने का बड़ा दांव चल सकती है। इससे एक तरफ जहां भाजपा मध्यप्रदेश में सरकार बनाने में सफल हो जाएगी, तो दूसरी तरफ सिंधिया के रूप में पार्टी को एक और युवा चेहरा मिल जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस से अलग होने के बावजूद सिंधिया किन्हीं कारणों से भाजपा में शामिल नहीं होते हैं तब भी पार्टी उन्हें बतौर निर्दलीय राज्यसभा भेज सकती है। ऐसे में उन्हें मोदी सरकार में भी शामिल होने का मौका मिल सकता है।
हालांकि, गेंद अभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के ही पाले में है। वैसे, सिंधिया के पाले में खड़े 17 विधायकों को देखते हुए कांग्रेस उन्हें मनाने की हरसंभव कोशिशें कर रही है। बताया जा रहा है कि सोमवार की देर रात उनकी सोनिया गांधी के साथ बैठक हो सकती है।
दरअसल, राज्य में जारी सियासी संकट के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को ही पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए समय मांगा था। सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी की तरफ से कोई जवाब न आने के बाद से सिंधिया की नाराजगी और ज्यादा बढ़ गई। वहीं, सोमवार को सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात कर राज्य के राजनीतिक संकट पर चर्चा की।
सूत्रों का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रबल दावेदार होने के बावजूद मुख्यमंत्री बनने से चूक जाने के बाद से ज्योतिरादित्य सिंधिया बाद में प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते थे, मगर दिग्विजय सिंह के रोड़े अटकाने के कारण नहीं बन पाए। फिर उन्हें लगा कि पार्टी आगे राज्यसभा भेजेगी, मगर इस राह में भी दिग्विजय सिंह ने मुश्किलें खड़ीं कर दीं। पार्टी में लगातार उपेक्षा होते देख सिंधिया ने भाजपा के कुछ नेताओं से भी संपर्क बढ़ाना शुरू कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि इसी सिलसिले में बीते 21 जनवरी को शिवराज सिंह चौहान और सिंधिया की करीब एक घंटे तक मुलाकात चली थी। उसी दौरान सिंधिया के भाजपा से नजदीकियां बढ़ने की चर्चा चली थी।
फिलहाल सिंधिया ने कांग्रेस के सामने राज्यसभा के टिकट के साथ प्रदेश अध्यक्ष बनने की शर्त रखी है। सोनिया गांधी के साथ मुख्यमंत्री कमल नाथ की सोमवार को हुई बैठक में दो शर्तो को लेकर कोई सहमति नहीं बनी।
सूत्रों का कहना है कि अभी कांग्रेस के कुछ नेताओं ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनाए जाने की उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। उनकी सोमवार की देर रात सोनिया गांधी से भेंट कराए जाने की तैयारी है।
सूत्र बताते हैं कि अगर सोनिया गांधी सिंधिया की शर्ते मान लेती हैं तो कमल नाथ सरकार पर छाया संकट दूर हो सकता है। अगर सिंधिया की शर्ते कांग्रेस आलाकमान ने ठुकरा दीं तो फिर वह भाजपा की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा बगैर पार्टी में शामिल किए भी सिंधिया को निर्दलीय के तौर पर राज्यसभा भेज सकती है। तीन राज्यसभा सीटों में से एक सीट भाजपा के पाले में आनी तय है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि सिंधिया को केंद्र में मंत्री भी बनाया जा सकता है। इस तरह भाजपा जहां सिंधिया को केंद्र की राजनीति में फिट करेगी, वहीं राज्य में उनके समर्थन से सरकार बनाने में भी सफल हो जाएगी। सूत्र बताते हैं कि सिंधिया के समर्थन वाले विधायकों को भाजपा की राज्य इकाई में समायोजित किया जा सकता है।
भाजपा के एक नेता ने आईएएनएस से कहा, “सिंधिया अगर भाजपा में आते हैं तो स्वागत है। उनके कद के हिसाब से जो कुछ बन पड़ेगा, पार्टी करेगी। लाजिमी है कि अगर सिंधिया राज्य में सरकार बनाने में मदद करते हैं तो फिर यथोचित इनाम भी उन्हें देना पड़ेगा।”