BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 05:10 AM
  • 26.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. पीएम मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक खत्म, पाकिस्तान को कड़ा संदेश
  2. वेंस ने पीएम मोदी से कहा – आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका हर तरह की मदद को तैयार
  3. पहलगाम हमला : सुरक्षा बलों ने जारी किए आतंकवादियों के स्केच और तस्वीरें
  4. पहलगाम आतंकी हमला : प्रधानमंत्री मोदी ने कानपुर दौरा किया रद्द
  5. पहलगाम आतंकी हमला : अमित शाह ने कर दिया ऐलान, ‘दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा’
  6. पहलगाम आतंकी हमला: जम्मू-कश्मीर सरकार ने मुआवजे का किया ऐलान, मृतकों के परिजनों को मिलेंगे 10 लाख
  7. पहलगाम आतंकी हमला: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीच में छोड़ी अमेरिका-पेरू यात्रा
  8. पहलगाम आतंकी हमले पर राहुल गांधी ने जताई चिंता, अमित शाह से की बात
  9. ‘इसे माफ नहीं किया जा सकता’, पहलगाम में आतंकी हमले पर भारतीय खेल हस्तियों ने दी प्रतिक्रिया
  10. धरती को बचाने में बॉलीवुड भी पीछे नहीं, ‘कड़वी हवा’ से ‘वेल डन अब्बा’ तक हैं उदाहरण
  11. दूसरी बार प्रेग्नेंट पूजा बनर्जी ने कहा-दिल्ली और मुंबई के बीच बड़ा अंतर
  12. सऊदी से लौटते ही पीएम मोदी ने हवाई अड्डे पर ही बुलाई बैठक, एनएसए डोभाल और विदेश मंत्री मौजूद
  13. पहलगाम आतंकी हमला: राष्ट्रपति ट्रंप ने की निंदा, पीएम मोदी से कहा – संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ खड़ा
  14. पहलगाम हमला : आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबलों और जम्मू-कश्मीर पुलिस का संयुक्त तलाशी अभियान जारी
  15. अमेरिका, रूस, यूएई, ईरान ने की पहलगाम हमले की निंदा, भारत के साथ व्यक्त की एकजुटता

ट्रंप 2.0 से पहले हिंडनबर्ग का बंद होना जांच से बचने की आखिरी कोशिश

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 16 जनवरी 2025, 10:35 PM IST
ट्रंप 2.0 से पहले हिंडनबर्ग का बंद होना जांच से बचने की आखिरी कोशिश
Read Time:5 Minute, 1 Second

बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। हिंडनबर्ग रिसर्च के संस्थापक नाथन एंडरसन ने अपनी फर्म बंद करने का ऐलान किया है। 2017 में स्थापित हुई शॉर्ट सेलिंग फर्म अपनी सनसनीखेज रिपोर्टों के लिए बदनाम थी।

शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग अपनी रिपोर्ट्स में कंपनियों पर धोखाधड़ी या अनैतिक गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाती थी। अब तक इस फर्म ने कई बड़े कॉरपोरेट्स को निशाना बनाया है, जिसमें अदाणी ग्रुप और निकोला कॉरपोरेशन का नाम शामिल है।

एंडरसन ने हिंडनबर्ग रिसर्च फर्म को बंद करने का कारण बताते हुए कहा कि यह उनका निजी निर्णय है और वे इससे आगे बढ़ना चाहते हैं।

कुछ ऑब्जर्वर्स का मानना है कि यह कदम अमेरिकी नियामक निगरानी में अपेक्षित बदलावों से पहले उठाया गया है, क्योंकि आगामी प्रशासन द्वारा वैश्विक बाजारों में व्यवधान पैदा करने वाली वित्तीय संस्थाओं की जांच शुरू की जा सकती है।

कई विश्लेषकों के मुताबिक, ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) की तरह ही हिंडनबर्ग रिसर्च भी अपने बड़े भू-राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए सोरोस समर्थित डीप-स्टेट टूल के रूप में काम करता है।

टारगेटेड विदेशी अर्थव्यवस्थाओं में वित्तीय अस्थिरता पैदा करने के लिए इन संस्थाओं का जो बाइडेन प्रशासन द्वारा रणनीतिक रूप से लाभ उठाया गया था। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से अक्सर बाजारों में अस्थिरता पैदा होती थी।

उदाहरण के लिए, अदाणी समूह पर फर्म की रिपोर्ट दक्षिण एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के साथ मेल खाती है, जिससे भारत के प्रमुख समूहों में से एक को काफी वित्तीय नुकसान हुआ है। ऐसी रिपोर्टों के समय ने सवाल उठाए हैं कि क्या ये कार्य संयोगवश थे या विशिष्ट अर्थव्यवस्थाओं को कमजोर करने की रणनीति का हिस्सा थे। ग्लोबल साउथ में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी भारत को इन खुलासों का खामियाजा ऐसे महत्वपूर्ण मोड़ पर भुगतना पड़ा, जब उसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा था।

माना जा रहा है कि अमेरिकी प्रशासन में बदलाव के बाद वैश्विक बाजारों में व्यवधान पैदा करने वाली संस्थाओं को जांच का सामना करना पड़ सकता है। ट्रंप प्रशासन, जिसे वित्तीय जवाबदेही के बहाने वैश्विक बाजारों को प्रभावित करने वाली संस्थाओं पर अपने आलोचनात्मक रुख के लिए जाना जाता है, ऐसी फर्मों को अधिक गहन जांच के दायरे में ला सकता है। हिंडनबर्ग रिसर्च को पहले से ही बंद करके, वह खुद को और अपने डीप स्टेट सहयोगियों को संभावित कानूनी और विनियामक परिणामों से बचाने की कोशिश कर रहा है।

ऑब्जर्वर्स का यह भी अनुमान है कि फर्म के बंद होने से इसके संचालन मॉडल, फंडिंग स्रोतों और राजनीतिज्ञों के साथ संभावित जुड़ाव के बारे में बढ़ती जांच को कम करने में मदद मिल सकती है।

हिंडनबर्ग के संचालन ने हमेशा लोगों की राय को ध्रुवीकृत किया है। एक ओर फर्म को बड़े नामों और विशाल कॉरपोरेट्स को ‘बेनकाब’ करने की अपनी क्षमता के लिए सराहा गया। दूसरी ओर, शॉर्ट सेलिंग सहित इसकी रणनीति की आलोचना बाजार में अस्थिरता को बढ़ाने और विशेष रूप से उभरते बाजारों में वित्तीय संकट पैदा करने के लिए की गई।

इसके जुड़ाव और उद्देश्यों के बारे में सवाल बने हुए हैं, इसलिए हिंडनबर्ग का बंद होना इस बहस का अंत नहीं बल्कि भविष्य में इस तरह के संचालन के तरीके में बदलाव का संकेत हो सकता है।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *