
बीएनटी न्यूज़
मुंबई। एक्ट्रेस पायल घोष ने अपनी तुर्की यात्रा को रद्द करने के कारणों का खुलासा किया। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि पीठ में छुरा घोंपना और पर्यटन एक साथ नहीं हो सकते। दरअसल, भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया था। इसके बाद तुर्की और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। इसी वजह से भारतीयों में तुर्की के प्रति नाराजगी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के संदर्भ में, जिसमें उन्होंने कहा था ‘खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते’, पायल ने कहा कि पीठ में छुरा घोंपना और पर्यटन एक साथ नहीं हो सकते। उन्होंने बताया कि उन्हें 30 लाख रुपये का अच्छा ऑफर मिला था, फिर भी उन्होंने तुर्की जाने से साफ इन्कार कर दिया।
बीएनटी न्यूज़ से बातचीत में पायल घोष ने कहा, “पैसा देश की इज्जत और गर्व से ऊपर नहीं हो सकता। मैं सबसे पहले एक भारतीय हूं, फिर एक एक्ट्रेस या आर्टिस्ट। जैसे हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने कहा था कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते, वैसे ही पीठ में छुरा घोंपना और टूरिस्ट विजिट्स और एंटरटेनमेंट एक साथ नहीं हो सकता।”
पायल घोष ने कहा, “अगर तुर्की ने ऐसे अहम वक्त में पाकिस्तान का साथ चुना, तो वे हम भारतीयों से या हमारे टूरिज्म से कमाई की उम्मीद नहीं कर सकते, चाहे वो सेलिब्रिटी के रूप में हो या आम पर्यटक के तौर पर। मैं अपने फैसले को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हूं, इसलिए मैंने तुर्की जाने का प्लान रद्द कर दिया। भगवान की कृपा से मुझे जो चाहिए, वह सब मिला है। मैं पैसे के लिए अपने देश को कभी पीछे नहीं रख सकती। जय हिंद!”
हाल ही में फिल्म एक्ट्रेस नीतू चंद्रा ने तुर्की जैसे देशों का बहिष्कार करने की मांग की थी। नीतू का कहना है कि जो भी देश आतंकवादियों का साथ देते हैं, उनके खिलाफ भारत को कड़ा कदम उठाना चाहिए। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि देश की सुरक्षा सुनिश्चित हो और संस्कृति को बचाया जा सके। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा था, “मुझे लगता है कि आतंकवाद को किसी भी हालत में सही नहीं ठहराया जा सकता, चाहे वह कहीं भी हो। इसमें हमेशा निर्दोष लोग ही परेशान होते हैं। जो भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है, भारत को उसका बहिष्कार करना चाहिए। हम पहले ही बहुत कुछ झेल चुके हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी लोगों से बस यही अपील है कि कोई भी कदम उठाने से पहले अच्छे से सोचें। हमें इंसानियत के साथ यह लड़ाई लड़नी है, लेकिन एक इंसान होने के नाते हमें जिम्मेदारी से काम लेना चाहिए। ध्यान रखें कि आपका समर्थन किसके साथ है और उसका मकसद क्या है।”