
मुंबई, 5 सितंबर (बीएनटी न्यूज़)| पारंपरिक बड़े लॉन्च के बजाय छोटी-छोटी भूमिकाएं निभाकर बॉलीवुड में कदम रखने वाले दो अभिनेता- अपारशक्ति खुराना और अभिषेक बनर्जी ‘हीरो के दोस्त’ की रूढ़ीवादी छवि को तोड़ रहे हैं।
आईएएनएस के साथ बात करते हुए, दोनों अभिनेताओं ने कहा कि हालांकि पहले इस शब्द का एक निगेटिव मतलब था, कहानी कहने की बदलती भाषा के साथ, जो अधिक चरित्र- छवि से प्रेरित है, ऐसे मानदंड टूट गए हैं।
इससे पहले, एक अभिनेता जो एक व्यावसायिक फीचर फिल्म के नायक के रूप में इसे बड़ा बनाना चाहता था, टाइपकास्ट होने के डर से मुख्य चरित्र के दोस्त की भूमिका निभाने से परहेज करता था। अभिषेक ने ‘फिल्लौरी’ से अपनी शुरूआत की, जहां उन्होंने दिलजीत दोसांझ के साथ स्क्रीन स्पेस साझा किया। अपारशक्ति को फिल्म ‘स्त्री’ के लिए ‘कॉमिक रोल में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता’ का पुरस्कार मिला।
अभिषेक ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “मेरा मानना है कि जो बदलाव हमें देखने को मिलता है वह लेखकों और कास्टिंग निर्देशकों की वजह से हो रहा है। पहले जब हम ‘हीरो के दोस्त’ कहते थे, तो यह एक स्टीरियोटाइप था जिसमें चरित्र या तो अच्छी तरह से लिखा नहीं गया था, या मुख्य कथा के लिए अप्रासंगिक भी था। यही मुख्य कारण था कि कोई भी अभिनेता जो किसी फिल्म के नायक के रूप में बॉलीवुड में इसे बड़ा बनाना चाहता था, वह इस तरह के चरित्र को निभाने से डरता था।
“हमारा सिनेमा बदल गया है और कहानियां अधिक चरित्र-चालित हैं। इसलिए, प्रत्येक अभिनेता को कहानी में अपना पल मिलता है। साथ ही, कोई भी अभिनेता को किसी विशेष भूमिका में कैसे बांध सकता है, एक कलाकार के पास और भी बहुत कुछ है?”
हाल के दिनों में अभिषेक ‘स्त्री’, ‘ड्रीम गर्ल’, ‘भोंसले’, ‘अनपॉज्ड’, ‘अजीब दास्तान’ जैसी फिल्मों और ‘मिर्जापुर’, ‘पाताल लोक’ और ‘काली 2’ जैसी वेब सीरीज में नजर आ चुके हैं।
अपारशक्ति का मानना है कि एक अभिनेता के रूप में अपनी छवि पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, उनकी मुख्य रुचि कहानी पर उनके चरित्र के प्रभाव पर है। उन्होंने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “बॉलीवुड के एक हीरो की छवि बदल गई है। इसका अब सब कुछ किरदार से जुड़ा है, इसलिए हां, ‘हीरो का दोस्त’ से जुड़ी स्टीरियोटाइप भी बदल गई है।”