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राजौरी : तीन बहनों ने दी रहस्यमय बीमारी को मात, अन्य मरीजों को भी मिली आशा की किरण

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अपडेटेड 28 जनवरी 2025, 3:13 PM IST
राजौरी : तीन बहनों ने दी रहस्यमय बीमारी को मात, अन्य मरीजों को भी मिली आशा की किरण
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बीएनटी न्यूज़

राजौरी। जम्मू-कश्मीर के राजौरी के उपायुक्त अभिषेक शर्मा ने देर रात सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) राजौरी का दौरा किया, जहां उन्होंने बधाल गांव की तीन सगी बहनों से मुलाकात की। इन बहनों को हाल ही में जम्मू अस्पताल से छुट्टी दी गई थी, जहां वे एक रहस्यमयी बीमारी के इलाज के बाद पूरी तरह ठीक हो गईं।

ये तीन बहनें बधाल गांव की निवासी हैं और छह दिन पहले उन्हें बीमारी के लक्षण दिखने पर जम्मू रेफर किया गया था। भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर के जरिए उन्हें एयरलिफ्ट किया गया था। यह बीमारी पहले ही बधाल गांव में 17 लोगों की जान ले चुकी थी।

हालांकि, बहनों ने इलाज के बाद बीमारी को मात दी और उनमें काफी सुधार देखा गया। इसके बाद, उन्हें सोमवार को जम्मू अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और अब वे जीएमसी राजौरी में आइसोलेशन फैसिलिटी में भर्ती हैं।

उपायुक्त अभिषेक शर्मा ने इन बहनों से मुलाकात करते हुए डॉक्टरों की मेहनत की सराहना की और कहा कि इनकी जान बचाने में डॉक्टरों का योगदान अहम था।

उन्होंने यह भी कहा कि इस कठिन समय में प्रशासन बधाल गांव के लोगों के साथ खड़ा है और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करेगा।

इस मौके पर जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल डॉ. एएस भाटिया और चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शमीम अहमद भी मौजूद थे।

जीएमसी राजौरी के प्रिंसिपल डॉ. एएस भाटिया ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सभी तीनों बच्चियां जिनका इलाज करके उन्हें एयरलिफ्ट कर जम्मू भेजा गया था, अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी हैं। आज का दिन हमारे लिए बहुत खुशी का है, खासकर राजौरी, पीर पंजाल इलाके और विशेष रूप से बधाल गांव के लिए। सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी सरकार के मेडिकल कॉलेज, राजौरी के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है। इन बच्चों के चेहरे पर जो खुशी और मुस्कान थी, उसे देखकर हमारी सारी थकावट दूर हो गई। उनकी आंखों की चमक और जो धन्यवाद देने की भावना उनके चेहरे पर थी, वह शब्दों से बयान नहीं की जा सकती। यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा तोहफा है, विशेष रूप से जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग, और सभी हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए। यह उनके समर्पण और मेहनत का परिणाम है।

उन्होंने कहा कि हमारी पूरी टीम ने पूरी ईमानदारी और जुनून के साथ काम किया। किसी ने भी वक्त की परवाह नहीं की। जब वे अपनी ड्यूटी खत्म कर चुके होते, तो भी रात के दो बजे, या सुबह पांच बजे भी फोन करने पर तुरंत पहुंच जाते थे। इन सभी ने पिछले 40 दिनों में एक मिसाल कायम की है। उनका केवल एक मकसद था – इन बच्चों को बचाना। अब यहां पर जो 11 लोग हैं, उनकी स्थिति बिल्कुल स्थिर है। आठ लोग तो डिस्चार्ज होने के करीब हैं, जिनको हम अभी ऑब्जर्वेशन में रखे हुए हैं। हर कोई बेहतर है और स्वस्थ हो रहा है।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ. शमीम अहमद ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुझे बच्चियों को देखकर बहुत खुशी है। हम सभी लोगों के लिए बहुत खुशी की बात है। इसके अलावा, लोगों में इस बात की खुशी है कि इस बीमारी का उपचार हो पा रहा है। वहीं, इन बच्चियों को देखे जाने के बाद अन्य मरीजों में भी आशा की किरण जगी है।”

बता दें कि राजौरी में रहस्यमय बीमारी के कहर से लोगों के बीच में डर का माहौल है। अब तक इस बीमारी की जद में आकर कई लोगों की मौत हो चुकी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से अलर्ट जारी किया गया है। मौजूदा स्थिति की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी चिकित्सा कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

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