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अर्द्धउष्ट्रासन: रीढ़ को लचीलापन और मन को शांति देता योग का चमत्कारी आसन

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अपडेटेड 01 जून 2025, 4:23 PM IST
अर्द्धउष्ट्रासन: रीढ़ को लचीलापन और मन को शांति देता योग का चमत्कारी आसन
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। अर्द्धउष्ट्रासन योग की दुनिया में एक प्रभावशाली और सरल आसन है, जो शारीरिक स्वास्थ्य, मानसिक शांति और आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ावा देता है।

इसे “हाफ कैमल पोज” के नाम से भी जाना जाता है, जो पूर्ण उष्ट्रासन का एक कम तीव्र रूप है। यह आसन रीढ़ को लचीला बनाने, तनाव को कम करने और शरीर को ऊर्जावान रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

खास तौर पर शुरुआती और मध्यवर्ती स्तर के अभ्यर्थियों के लिए यह आसन आदर्श है, क्योंकि यह शारीरिक क्षमता के अनुरूप आसानी से किया जा सकता है। नियमित अभ्यास से यह आसन न केवल शारीरिक लचीलापन बढ़ाता है, बल्कि मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास को भी प्रोत्साहित करता है।

अर्द्धउष्ट्रासन करने के लिए सबसे पहले एक शांत और स्वच्छ स्थान चुने, जहां योग मैट बिछाकर अभ्यास शुरू किया जा सके। घुटनों के बल बैठें, इस तरह कि दोनों घुटने कूल्हों की चौड़ाई के बराबर दूरी पर हों और पैरों के पंजे पीछे की ओर हों। रीढ़ को सीधा रखते हुए कंधों को आराम दें। अब दाहिने हाथ को धीरे-धीरे दाहिनी एड़ी पर ले जाएं या इसे कूल्हे पर टिकाएं। इसके बाद बाएं हाथ को ऊपर की ओर उठाएं और धीरे-धीरे पीठ को पीछे की ओर झुकाएं। नजरें ऊपर या पीछे की ओर रखें और सांस को सामान्य रखें। इस मुद्रा में 15 से 30 सेकंड तक रहें, गहरी सांस लेते हुए। शरीर पर अनावश्यक दबाव डाले बिना धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें और फिर दूसरी ओर से इस प्रक्रिया को दोहराएं। इस आसन को दोनों तरफ दो से तीन बार करना पर्याप्त है।

हालांकि, गर्भवती महिलाओं, रीढ़ या गर्दन की समस्या वाले लोगों और उच्च रक्तचाप के रोगियों को इसे करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए।

यह आसन कई तरह से शरीर और मन को लाभ पहुंचाता है। रीढ़ को पीछे की ओर झुकाने से उसका लचीलापन बढ़ता है, जिससे पीठ दर्द में राहत मिलती है। पेट की मांसपेशियों पर खिंचाव होने से पाचन तंत्र बेहतर होता है और कब्ज जैसी समस्याएं कम होती हैं। यह आसन हृदय चक्र को खोलता है, जिससे तनाव और चिंता में कमी आती है। छाती का विस्तार होने से फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। कूल्हे, जांघें और पीठ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे शरीर की समग्र ताकत बढ़ती है। साथ ही, यह रक्त संचार को बेहतर करता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

अर्द्धउष्ट्रासन एक ऐसा योगासन है, जो सरल होने के साथ-साथ अनेक लाभ प्रदान करता है। इसे योग प्रशिक्षक की देखरेख में शुरू करने से सही तकनीक और सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इस आसन को अपनी दिनचर्या में शामिल कर स्वस्थ, लचीला और ऊर्जावान जीवन जिया जा सकता है।

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