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भारत को मलेरिया, कालाजार और लिम्फैटिक बीमारियों के खिलाफ मिली बड़ी सफलता

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अपडेटेड 29 दिसंबर 2024, 6:35 PM IST
भारत को मलेरिया, कालाजार और लिम्फैटिक बीमारियों के खिलाफ मिली बड़ी सफलता
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। भारत ने मलेरिया, कालाजार, लिम्फैटिक फिलेरियासिस जैसी वेक्टर जनित बीमारियों के मामलों और मौतों के लिए निर्धारित की टार्गेट्स को प्राप्त कर लिया है। सरकार ने शनिवार को यह जानकारी दी।

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) इन बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत ने मलेरिया के बोझ को कम करने में काफी प्रगति की। मंत्रालय ने कहा कि देश ने 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों में 80.53 प्रतिशत और मलेरिया से मौतों में 78.38 प्रतिशत की कमी हासिल की है। साल 2024 (अक्टूबर तक – अस्थायी आंकड़े) में मलेरिया के मामलों में 13.66 प्रतिशत का वृद्धि और मलेरिया से मौतों में 32.84 प्रतिशत की कमी आई है।

इस साल, अक्टूबर तक 23 राज्यों में निगरानी भी बढ़ा दी गई है। भारत का लक्ष्य 2030 तक मलेरिया को खत्म करना है।

मंत्रालय ने आगे कहा कि 2024 में देश में कालाजार के मामलों में 22.18 प्रतिशत की कमी आई है। अक्टूबर तक कालाजार के लगभग 421 मामले रिपोर्ट किए गए हैं। वहीं, 2023 के समान अवधि में 541 मामले रिपोर्ट किए गए थे।

खास बात यह है कि देश 2023 के अंत तक प्राप्त किए गए 633 एंडेमिक ब्लॉक्स में उन्मूलन लक्ष्य को बनाए रख रहा है। उन्मूलन लक्ष्य को ब्लॉक स्तर पर प्रति 10 हजार जनसंख्या पर एक से कम मामले की वार्षिक घटना के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।

मंत्रालय ने बताया कि सरकार ने ब्लॉक स्तर पर प्रति 10,000 जनसंख्या पर 1 से अधिक कालाजार मामले की रिपोर्ट करने वाले स्थानिक ब्लॉकों की संख्या शून्य रही और आज तक उन्मूलन की स्थिति को बनाए रखा है।

इसके अलावा, लिम्फेटिक फाइलेरियासिस को खत्म करने के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान ने 2024 में पात्र आबादी के बीच 94 प्रतिशत कवरेज देखा है।

साल 2023 में एमडीए अभियान राष्ट्रीय स्तर पर 82 प्रतिशत कवरेज तक पहुंच गया।

लिम्फैटिक फिलेरियासिस को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत, एमडीए अभियान ने 13 राज्यों के 159 जिलों के 1,634 ब्लॉक्स में कवरेज रिपोर्ट किया। मंत्रालय के अनुसार, इन क्षेत्रों में एमडीए दो चरणों में आयोजित किया गया था।

लिम्फैटिक फिलेरियासिस को आमतौर पर हाथीपांव के नाम से जाना जाता है, एक गंभीर, अपंग करने वाली और दुर्बल करने वाली बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलती है।

यह उष्णकटिबंधीय इलाकों में ज्यादातर पनपती है जिसे भारत सरकार ने 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पहले खत्म करने का लक्ष्य रखा है। मंत्रालय ने बताया कि 345 स्थानिक जिलों में से 13 राज्यों के 159 जिलों में 1 प्रतिशत से अधिक माइक्रोफाइलेरिया (एमएफ) दर दर्ज की गई हैष। लिम्फोएडेमा रोगियों को लगभग 3,38,087 रुग्णता प्रबंधन और विकलांगता निवारण किट प्रदान की गईं और 64,706 हाइड्रोसेलेक्टोमी सर्जरी की गईं।

जापानी इंसेफेलाइटिस ने भी 2024 में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मंत्रालय ने उल्लेख किया कि 355 जिलों में से 334 को नियमित टीकाकरण के तहत कवर किया गया है।

जापानी इंसेफेलाइटिस के खिलाफ नियमित टीकाकरण के तहत केवल 21 और जिलों को कवर किया जाना है – जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस के कारण मस्तिष्क का संक्रमण। मंत्रालय ने कहा कि लगभग 42 जिले – असम (9), उत्तर प्रदेश (7) और पश्चिम बंगाल (26) को इस बीमारी के खिलाफ वयस्क टीकाकरण के तहत कवर किए गए हैं।

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