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कोरोना काल में तकनीक के दोस्त बन गए बच्चे

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अपडेटेड 26 दिसंबर 2020, 2:35 PM IST
कोरोना काल में तकनीक के दोस्त बन गए बच्चे
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कोरोना काल में तकनीक के दोस्त बन गए बच्चे

रीवा, 26 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| कोरोना संक्रमण के कारण शिक्षण संस्थान बंद चल रहे हैं और बच्चों के सामूहिक मेल मुलाकात पर रोक लगी हुई है। इस आपदा के काल को मध्य प्रदेश के कई हिस्सों के बच्चों ने अवसर में भी बदला है और वे तकनीक के दोस्त बन गए हैं। शिक्षण संस्थानों के बंद होने के बाद ऑनलाइन कक्षाओं की शुरूआत हुई। बीते नौ माह से यह सिलसिला जारी है। बड़ी संख्या में बच्चे ऐसे थे जो ऑनलाइन पढ़ाई से कतराते रहे हैं और माता-पिता की बात को भी नहीं सुनते थे, मगर कोरोना काल में उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई की और वे इस तकनीक से भी बेहतर तरीके से वाकिफ हुए हैं।

रीवा के छात्र अखिल पटेल बताते हैं कि, “कोरोना काल में उनकी पढ़ाई ऑनलाइन हुई है, पहले ऑनलाइन पढ़ाई करने का मन नहीं करता था, मगर स्कूल बंद होने के बाद ऑनलाइन पढ़ाई करने लगे हैं। तकनीक को भी अब बेहतर तरीके से जानने लगे हैं।”

छात्रा अवनी एंगल कहती हैं कि, “यह बात सही है कि कोरोना कॉल को छात्रों ने अवसर में बदला है और ऑनलाइन पढ़ाई की है, मगर अब वे परेशान हैं और चाहते हैं की स्कूल पहले की तरह खुल जाएं।”

रीवा के गैर सरकारी संगठन रिएक्ट संस्था के मुकेश एंगल कहते हैं कि, “बच्चों में अब बोरियत बढ़ने लगी है, बच्चों की बोरियत को कम करने के लिए चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी ने तरह-तरह के ऑनलाइन कार्यक्रमों का आयोजन किया, मुखौटा बनाना, पेंटिग, कहानी, स्वास्थ्य संबंधी समस्या, सुरक्षा आदि पर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर खुलकर संवाद हुआ। इससे जहां बच्चों ने विविध कलाओं को सीखा, वहीं व्यस्त भी रहे। अब बच्चों की इच्छा यही है कि स्कूल खुल जाएं ताकि पहले जैसी जिंदगी जी सकें।”

वे आगे कहते हैं कि, “यह बात सही है कि ऑन लाइन से अब बच्चे बेहतर तरीके से वाकिफ हो गए है, कुल मिलाकर इस मामले में आपदा बच्चों के लिए अवसर बनी है। बच्चों के लिए ऑन लाइन पढ़ाई या सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर संवाद उलझन भरा नहीं रहा है।”

जानकारों का मानना है कि स्कूल को लोग सिर्फ पढ़ाई का स्थान मानते हैं, जबकि यह बच्चों के लिए अलग ही दुनिया है, यहां बच्चे अपने में खोए रहते हैं उनका तरह-तरह के शिक्षकों से मिलना जुलना होता है।

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