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प्रदूषण बढ़ने के बाद एक्टिव होती हैं सरकारें, सालभर कुछ नहीं होता: पर्यावरणविद्

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अपडेटेड 05 नवंबर 2020, 11:47 AM IST
प्रदूषण बढ़ने के बाद एक्टिव होती हैं सरकारें, सालभर कुछ नहीं होता: पर्यावरणविद्
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प्रदूषण बढ़ने के बाद एक्टिव होती हैं सरकारें, सालभर कुछ नहीं होता: पर्यावरणविद्

नई दिल्ली, 5 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| देश के जाने-माने पर्यावरणविदों के मुताबिक दिल्ली का प्रदूषण, विभिन्न सरकारों और सरकारी एजेंसियों द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी के कारण बढ़ रहा है। सांस के रोगी, बुजुर्ग, बच्चे एवं गर्भवती महिलाएं इस वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित हैं। देश के जाने-माने पर्यावरणविद् विमलेंदु झा के मुताबिक प्रदूषण बढ़ने के बाद सरकारें एक्टिव होती हैं। सालभर कुछ नहीं होता। दिल्ली का प्रदूषण, सरकार और विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा पर्यावरण नियमों की अनदेखी के कारण बढ़ रहा है।

दिल्ली से सटे विभिन्न राज्यों में पराली की जलती लपटों चरम पर हैं। पराली जलाए जाने, दिल्ली के अपने प्रदूषण और बढ़ती ठंड के कारण दिल्ली का प्रदूषण स्तर बढ़ गया है। बुधवार को दिल्ली के वजीरपुर इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स 399 तक पहुंच गया। वहीं जहांगीरपुरी में यह 383 रहा। बवाना में एयर क्वालिटी इंडेक्स 392 और रोहिणी में 391 है।

विमलेंदु झा ने आईएएनएस से कहा, “दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के मुख्यत तीन कारण हैं। इनमें पहला है पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में पराली का जलाया जाना। इस मौसम में पराली जलाने से दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। दूसरा कारण दिल्ली का अपना प्रदूषण है। जिसमें वाहनों से निकलने वाला धुआं, दिल्ली के हॉटस्पॉट, सड़क किनारे उड़ने वाली धूल, निर्माण कार्य में होने वाली वाली लापरवाही, कूड़े के ढेरों में आग लगाना आदि शामिल हैं।”

तीसरा कारण तापमान में आई गिरावट है। विमलेंदु झा के मुताबिक, “मौसम ठंडा होने पर हवा में मौजूद भारी कण ऊपर नहीं जाते जिससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है। वहीं उद्योग धंधे खुलेआम पर्यावरण नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। पराली के निपटान की ठोस व्यवस्था नहीं है। दिल्ली में होने वाले प्रदूषण को रोकने के सही इंतजाम सही समय पर नहीं किए गए।”

पर्यावरण विशेषज्ञ केशव चंद शर्मा के मुताबिक, “सभी सरकारें प्रदूषण बढ़ने पर प्रतिक्रियाएं देती हैं, लेकिन साल भर इस स्थिति को रोकने के लिए कुछ नहीं किया जाता। सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को मजबूत करके लाखों वाहनों से निकलने वाला धुआं कम किया जा सकता है। कूड़े का सही तरीके से निपटान होने पर वायु प्रदूषण में कमी दर्ज की जा सकती है।”

विमलेंदु झा के मुताबिक, “बढ़ते प्रदूषण का प्रभाव सभी आयु वर्ग के लोगों पर पड़ता है। फिर भी सांस के रोगी, बुजुर्ग, बच्चे एवं गर्भवती महिलाएं इस वायु प्रदूषण से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण से बचने के लिए इन लोगों को अधिक से अधिक समय घर के अंदर ही रहना चाहिए। बाहर निकलते समय उचित मास्क का उपयोग करना चाहिए और यदि संभव हो सके तो इन हाउस प्लांट लगाए जाने चाहिए।”

बुधवार को दिल्ली का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स 310 है। वहीं गुरुवार के लिए औसत अनुमान 335 है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, के अंतर्गत आने वाले एवं वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाले ‘सफर’ ने यह आकंड़ा जारी किया है।

दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर दिल्ली सरकार का कहना है कि अन्य राज्यों से आने वाले पराली के धुएं को रोकने में वह असमर्थ है, लेकिन दिल्ली के अंदर होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए वाहनों के धुएं, निर्माण में होने वाली धूल और पटाखों के प्रदूषण को रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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