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मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 से बढ़कर 704 हुई, इस वर्ष रिकॉर्ड 52 नए कॉलेज

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अपडेटेड 30 जून 2023, 10:25 AM IST
मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 से बढ़कर 704 हुई, इस वर्ष रिकॉर्ड 52 नए कॉलेज
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मेडिकल कॉलेज की संख्या 387 से बढ़कर 704 हुई, इस वर्ष रिकॉर्ड 52 नए कॉलेज

देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 704 हो गई है। इस वर्ष 52 नए कॉलेज जोड़े गए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके साथ ही मेडिकल छात्रों के लिए स्नातक सीटें 52,000 से बढ़कर 1 लाख 7,000 और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए कुल सीटें 32,000 से 67,000 हो गई हैं।

देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 704 हो गई है। इस वर्ष 52 नए कॉलेज जोड़े गए हैं, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इसके साथ ही मेडिकल छात्रों के लिए स्नातक सीटें 52,000 से बढ़कर 1 लाख 7,000 और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए कुल सीटें 32,000 से 67,000 हो गई हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने बताया कि 25 नए पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान परीक्षा बोर्ड (एनबीईएमएस) के 42वें स्थापना दिवस के अवसर पर इसकी जानकारी दी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रारंभ की गई पहलों और पाठ्यक्रमों के लिए संस्थान और गवर्निंग बोर्ड के सदस्यों को बधाई देते हुए कहा कि पिछले दो वर्षों के भीतर 25 पाठ्यक्रम शुरू किए गए हैं। यह विकास चिकित्सा छात्रों के लिए अधिक अवसर प्रदान करने, भारत सर्वोत्तम स्वास्थ्य सेवाओं और विशेषज्ञ डॉक्टरों को प्राप्त करने में सक्षम है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 9 पहलों का शुभारंभ किया, जिनमें मेडिसन में 11 नए एनबीईएमएस फेलोशिप पाठ्यक्रम, इमरजेंसी मेडिसिन में एनबीईएमएस डिप्लोमा, एनबीईएमएस परीक्षा कमांड सेंटर, कंप्यूटर आधारित टेस्ट के लिए एनबीईएमएस केंद्र, एनबीईएमएस गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस दिशानिर्देश, संयुक्त प्रत्यायन कार्यक्रम और स्टैंड-अलोन प्रयोगशालाओं, नैदानिक केंद्रों की मान्यता, एनबीईएमएस कौशल और वर्चुअल प्रशिक्षण कार्यक्रम, एनबीईएमएस शिक्षकों के लिए फैकल्टी टाइटल और एनबीईएमएस मेडिकल लाइब्रेरी शामिल हैं।

इस अवसर पर राज्य मंत्री एसपी. सिंह बघेल ने कहा कि भारतीय डॉक्टरों की शक्ति और मूल्य ऐसा है कि विश्व के हर भाग में एक भारतीय डॉक्टर सेवा में मिलेगा। उन्होंने एबीएचए कार्ड को स्वतंत्रता के बाद भारत के सबसे बड़े विकास में से एक बताया, जो स्वास्थ्य सेवाओं को दूरवर्ती क्षेत्रों तक पहुंचने और वंचित समुदाय को लाभान्वित करने में सक्षम बनाता है।

उन्होंने कहा कि भारत की चिकित्सा शिक्षा अपने स्वर्ण युग में है। उन्होंने टॉपर्स से आग्रह किया कि वो अपने अनुभवों और प्रेरणाओं को छोटे शहरों और गांवों के कॉलेजों और स्कूलों के साथ साझा करें ताकि उन्हें आज के शिखर पर पहुंचने के लिए प्रेरित किया जा सके।

नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन इन मेडिकल साइंसेज (एनबीईएमएस) भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का एक स्वायत्त निकाय है। इसे अखिल भारतीय आधार पर आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में परीक्षा आयोजित करने का कार्य सौंपा गया है। एनबीईएमएस पिछले 4 दशकों से चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहा है और गुणवत्ता वाले स्नातकोत्तर और पोस्टडॉक्टरल प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न अस्पतालों की अवसंरचना का उपयोग किया है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक एनबीईएमएस प्रत्येक वर्ष नीट-पीजी, एनईईटी-एसएस और एनईईटी-एमडीएस परीक्षाओं का सफलतापूर्वक संचालन कर रहा है। एनबीईएमएस ने विभिन्न विशिष्टताओं में 12,000 से अधिक पीजी सीटों के साथ 1100 से अधिक अस्पतालों को मान्यता दी है।

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