
युवाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस होने का खतरा अधिक : आरएमएलआईएमएस
लखनऊ, 12 सितंबर (बीएनटी न्यूज़)| लखनऊ में 35 से 45 वर्ष आयु वर्ग के अधिक से अधिक लोग ऑस्टियोआर्थराइटिस (जोड़ों में विकृति) से पीड़ित हो रहे हैं। राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आरएमएलआईएमएस) में एक सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कार्यक्रम और लाइव सर्जरी कार्यशाला के विशेषज्ञों ने कहा कि एक खराब जीवन शैली, खराब आहार की आदतें और प्रदूषण ऐसे रोगियों की बढ़ती संख्या के प्रमुख कारण हैं।
आरएमएलआईएमएस के एक संकाय डॉ स्वागत महापात्रा ने कहा, “लगभग सात साल पहले, शहर में पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस के कुल मामलों में युवा समूह की हिस्सेदारी 5-6 प्रतिशत थी। एक महीने में रिपोर्ट किए गए कुल मामलों में इसा आयु वर्ग का योगदान 20-25 प्रतिशत है।”
उन्होंने समझाया कि “युवा लोग जंक फूड खाते हैं और नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते हैं, जिसके चलते मांसपेशियों का नुकसान होता है और अधिक वजन होता है। यह अंतत: जोड़ों पर दबाव डालता है जिससे हड्डी खराब होती है।”
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रो-वाइस चांसलर प्रो विनीत शर्मा ने कहा, “अगर किसी को घुटनों या किसी अन्य जोड़ में दर्द महसूस होता है, तो उसे डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए क्योंकि यह ऑस्टियोआर्थराइटिस का मामला हो सकता है। शुरूआती हस्तक्षेप उचित दवा और जैव-हस्तक्षेप तकनीकों के माध्यम से बीमारी को ठीक किया जा सकता है।”
आरएमएलआईएमएस के सीनियर फैकल्टी डॉ सचिन अवस्थी ने कहा, “अगर घुटने बार-बार आवाज करते रहते हैं और कभी-कभी अकड़ जाते हैं और स्थिति छह सप्ताह से अधिक समय तक बनी रहती है, तो इसका मतलब है कि जोड़ों की सतह को कवर करने वाला कार्टिलेज बदल गया है या असमान हो गया है। ऐसे मामलों में, आगे की क्षति को रोकने के लिए तत्काल चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह घुटने के जोड़ को पूरी तरह से नुकसान पहुंचा सकता है।”