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आस्था बलवती होती रही, कांग्रेस के नेता गरीबी धोते रहे और खड़गे पूछते रहे ‘गरीबी हटाने का फॉर्मूला’

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अपडेटेड 26 फ़रवरी 2025, 1:15 AM IST
आस्था बलवती होती रही, कांग्रेस के नेता गरीबी धोते रहे और खड़गे पूछते रहे ‘गरीबी हटाने का फॉर्मूला’
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। प्रयागराज में जारी महाकुंभ आस्था का ऐसा केंद्र बन गया, जहां 63 करोड़ के करीब लोगों ने अमृत स्नान कर लिया है। इसको लेकर खूब सारी भ्रामक खबरें भी फैलाई गईं। लेकिन, आस्था है, उसे कौन धूमिल कर सकता है।

26 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ आस्था के इस महाकुंभ के अमृत स्नान का अंत भले हो जाए लेकिन, दुनिया इस बात को याद रखेगी कि एक छोटे से शहर में उमड़ा यह जनसैलाब सनातन आस्था का वह प्रवाह था, जिस पर किए गए भ्रामक कुठाराघात भी इस प्रवाह की दिशा बदलने में नाकामयाब रहे।

संगम तो तब भी वहीं रहेगा, प्रयागराज की धरती पर तब भी तीनों नदियों के मिलन का साक्षी बनता रहेगा, जो सदियों-सदियों से बनता चला आ रहा है। लेकिन, इस महाकुंभ में आस्था का जनसैलाब जो 144 साल बाद या कहें कि 12 कुंभों के बाद प्रयागराज में फिर से पड़ने पर उमड़ा, उसकी गति भले धीमी पड़ जाएगी पर इसे दुनिया में एक ऐसे आयोजन के तौर पर याद किया जाएगा। जब संगम की बहती धारा पर बिना किसी जाति का संज्ञान लिए सबने एक साथ अमृत स्नान किया। इतनी बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे जितनी आबादी सैकड़ों देशों की मिलाकर भी इसके सामने कम पड़ जाए। लोग आते गए और आस्था की डुबकी लगाते गए और अपने घर वापस चलते गए। सबका मन गदगद था, आनंदित था। लेकिन, राजनीति तो आस्था पर भी चोट करती है।

देश के गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रयागराज महाकुंभ में संगम में डुबकी लगा रहे थे। बात 27 जनवरी की थी। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मध्य प्रदेश के महू में इन पर तंज कस रहे थे। खड़गे तब बोल गए कि ‘गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म नहीं होगी।’ वह एक तीर से दो निशाना साधना चाह रहे थे लेकिन, कीमत थी सनातन आस्था पर प्रहार करके। तब तक इंडिया गुट के ही समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी संगम में डुबकी लगा ली थी। टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन भी संगम में अमृत स्नान कर चुके थे। खड़गे ने तब कहा था कि गंगा में डुबकी लगाने के लिए बीजेपी नेताओं में होड़ मची है। गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी।

अब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अगर इस तरह का बयान सनातन आस्था को लेकर देते हैं तो फिर सवाल तो उठता ही है कि यही पार्टी की भी लाइन होगी। ऐसे में इसे सनातन आस्था पर कांग्रेस का कुठाराघात समझा जाता है। लेकिन, खड़गे के इस बयान से कांग्रेस के नेता ही इत्तेफाक रखते नजर नहीं आते हैं। वह तो अपनी गरीबी धोने के लिए संगम तट पर भी पहुंचते हैं और आस्था की डुबकी भी लगाते हैं। खड़गे यह भी भूल गए थे कि डुबकी तो संगम में प्रियंका गांधी ने भी 2021 में लगाई थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू भी यहां गंगा में डुबकी लगा चुके हैं। इतना ही नहीं 1954 के प्रयागराज कुंभ में नेहरू आए थे और गंगा का पानी हाथ में लेते हुए तस्वीर भी खिंचवाई थी।

मतलब तब क्या देश और राजनेताओं की गरीबी इससे मिट रही थी। दरअसल, खड़गे के बयान के साथ कांग्रेस के नेता ही नहीं दिखे, संगम में डुबकी लगाने वाले कांग्रेस नेताओं की लिस्ट लंबी होती चली गई। सचिन पायलट, डीके शिवकुमार, दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्द्धन सिंह, छिंदवाड़ा के पूर्व सांसद नकुल नाथ, राजीव शुक्ला, अभिषेक मनु सिंघवी, यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के साथ कांग्रेस के कई नेता से होते हुए यह सूची अब हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खु तक पहुंच गई है। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय के साथ कांग्रेस के भी सात विधायक महाकुंभ स्नान के लिए पहुंचे थे।

पता नहीं 26 फरवरी तक इस लिस्ट में और किन कांग्रेस नेताओं का नाम जुड़ जाए। ऐसे में मल्लिकार्जुन खड़गे ही बेहतर बता सकते हैं कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी मिटती है या नहीं?, क्या कांग्रेस के ये नेता अपनी गरीबी मिटाने के लिए संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचे थे या फिर सनातन आस्था के प्रति उनका नजरिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से अलग है? या फिर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के बयान से पार्टी के नेता ही इत्तेफाक नहीं रखते हैं, उनके सनातन विरोधी बयान से पार्टी के नेता ही पीछा छुड़ाना चाहते हैं?

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तो प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर परिवार के साथ आस्था की डुबकी लगाकर खुद को भाग्यशाली माना और लिखा कि महाकुंभ त्रिवेणी संगम में स्नान कर समस्त प्रदेशवासियों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की। यानी समृद्धि का सीधा सा अर्थ तो यही है ना कि गरीबी से मुक्ति, तो मतलब साफ है कि महाकुंभ में आस्था की डुबकी भी गरीबी मिटाने का जरिया हो सकता है। उन्होंने तो यहां तक लिख दिया कि पीढ़ियां बदलीं, समय आगे बढ़ा, पर इस पावन संगम ने हर युग में मानवता को एक सूत्र में पिरोने का कार्य किया है। प्रयाग की महत्ता अडिग है, अनंत है।

सुक्खू ने तो दूसरे तरीके से खड़गे के सवाल का भी जवाब अपने पोस्ट में ही दे दिया, जिसमें उन्होंने त्रिवेणी के बारे में लिखा कि यह सदियों से केवल एक जलधारा नहीं है। यह हमारी आस्था, परंपरा और समरसता का जीवंत प्रतीक है। यहां लहरें पूर्वजों की श्रद्धा, संकल्पों और सनातन मूल्यों की साक्षी हैं।

कांग्रेस के यूपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ महाकुंभ में त्रिवेणी संगम स्नान कर भी ऐसा ही कुछ कहा था। इसके पहले पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और प्रभारी उत्तर प्रदेश अविनाश पांडे ने भी सपरिवार यहां संगम में आस्था की डुबकी लगाई थी। कांग्रेस के अन्य कई नेताओं ने भी स्नान किया।

मध्य प्रदेश से कांग्रेस नेता और वहां सदन में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे, विधायक सचिन यादव, पूर्व विधायक नीरज दीक्षित सहित कई कांग्रेसी नेता भी महाकुंभ पहुंचे थे। जीतू पटवारी भी यहां पहुंचे थे। वहीं, कांग्रेस के नेताओं ने भी संगम तट पर डुबकी लगाने के बाद लोक कल्याण की कामना की एवं समूचे देश की सुख शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना करते नजर आए। मतलब गरीबी को धोने के लिए महाकुंभ का यह अमृत स्नान तो था ही।

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