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जब राजनीति का स्‍तर गिरता है, तो समाज की रक्षा के लिए साहित्य आता है आगे : शशि थरूर

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अपडेटेड 23 मार्च 2025, 12:55 AM IST
जब राजनीति का स्‍तर गिरता है, तो समाज की रक्षा के लिए साहित्य आता है आगे : शशि थरूर
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बीएनटी न्यूज़

भुवनेश्वर। केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद और प्रसिद्ध लेखक शशि थरूर ने शनिवार को भुवनेश्वर में आयोजित 11वें कलिंग साहित्य महोत्सव 2025 में अपने संबोधन में कहा कि जब राजनीति गिरती है, तो साहित्य हमेशा समाज की रक्षा के लिए सामने आता है।

थरूर ने दिवंगत प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और प्रसिद्ध हिंदी लेखक रामधारी सिंह दिनकर के बीच हुई ऐतिहासिक बातचीत का उदाहरण दिया और बताया कि लेखक समाज में बदलाव लाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जब समाज जवाब देना बंद कर देता है, तो साहित्यकार अपनी लेखनी से समाज को दिशा देने का कार्य करते हैं।

थरूर ने अपने भाषण में यह भी कहा कि अगर लेखकों को घुटन महसूस हो रही है, तो यह समाज की स्थिति का साफ संकेत है। उन्होंने वर्तमान में हो रहे ध्रुवीकरण पर चिंता जताते हुए कहा कि इस समय कुछ भी नया होने की उम्मीद नहीं है।

वरिष्ठ पत्रकार सतीश पद्मनाभन के साथ एक संवाद में थरूर ने कहा, “मैं न तो कम्युनिस्ट हूं, न सांप्रदायिक, और न ही किसी एक विचारधारा से बंधा हूं। मैं हमेशा उन अच्छे पहलुओं के लिए खुला हूं जो समाज में हो रही हैं।”

उन्होंने भारत की विदेश नीति की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन के बीच संतुलन बनाए रखते हुए संयम और राजनीतिक सूझबूझ का परिचय दिया।

थरूर ने प्रधानमंत्री मोदी की अमेर‍िका की यात्रा के बाद भारत के टैरिफ ढांचे पर बातचीत के सकारात्मक परिणामों का भी उल्लेख किया और कहा कि यह दर्शाता है कि सही नेतृत्व के तहत चीजें कैसे आकार ले सकती हैं। उन्होंने हाल ही में केरल की वामपंथी सरकार के व्यापार समर्थक रुख का भी समर्थन किया।

जब उनसे भविष्य के राजनीतिक कदमों के बारे में पूछा गया, तो शशि थरूर ने कहा, “विकल्प हमेशा खुले रहते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि एक पार्टी दूसरी पार्टी के लिए है, यह साहित्यिक खोज या किसी और दिशा में भी हो सकता है।”

कलिंग साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन का उद्घाटन नागालैंड के पर्यटन मंत्री तेमजेन इम्ना ने किया। साथ ही राजकुमारी गौरी लक्ष्मी बाई और प्रोफेसर जतिंद्र नायक भी मौजूद थे। इस दिन के प्रमुख सत्रों में केरल और अन्य स्थानों की संस्कृति और साहित्य में त्रावणकोर शाही परिवार के योगदान पर चर्चा की गई।

इसके अतिरिक्त, ‘ब्रांड ओडिशा’ पर आयोजित एक सत्र में, ओडिशा के प्रमुख सरकारी संस्थानों के प्रतिनिधियों ने राज्य में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में हो रहे नवाचारों की जानकारी दी।

केएलएफ 2025 के दूसरे दिन, ‘ब्रांड ओडिशा’ पर एक अन्य सत्र में आईएमएमटी, आईआईटी और एम्स जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों के वक्ताओं ने बताया कि ओडिशा किस तरह विज्ञान प्रौद्योगिकी, शिक्षा और अनुसंधान, स्वास्थ्य क्षेत्र, सेमीकंडक्टर और महत्वपूर्ण धातुओं के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।

आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक ने ओडिशा की सेमीकंडक्टर नीति और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में बताया।

आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक ने कहा, “ओडिशा में सबसे अच्छी सेमी कंडक्टर नीति है, हमने अनुसंधान और उद्योग अकादमिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त उद्योग प्रयोगशाला स्थापित की है, जिसमें उद्योग ने 45 करोड़ रुपये का निवेश किया है।”

उन्होंने कहा कि उभरते क्षेत्रों में 100 करोड़ रुपये के प्रत्येक प्रोजेक्ट निवेश के साथ लगभग 100 स्टार्टअप को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे औद्योगिक संवर्धन के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित हो रहा है।

केएलएफ संस्थापक रश्मि रंजन परिदा ने कहा, “केएलएफ ने युवा और उभरते लेखकों दोनों को कुछ प्रमुख जीवित किंवदंतियों और साहित्यिक हस्तियों के साथ बातचीत करने के लिए एक मंच प्रदान किया है, मैं यहां अगली पीढ़ी के लेखकों का उत्साह देख रहा हूं।”

तीन दिवसीय साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान समारोह का समापन रविवार शाम को होगा।

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