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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में महाराजा हरिसिंह के खिलाफ बयानबाजी पर भाजपा नेता भड़के, माफी मांगने को कहा

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अपडेटेड 06 मार्च 2025, 10:17 PM IST
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में महाराजा हरिसिंह के खिलाफ बयानबाजी पर भाजपा नेता भड़के, माफी मांगने को कहा
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को 13 जुलाई और 5 दिसंबर की छुट्टी बहाल करने को लेकर उठा मामला महाराजा हरिसिंह के अपमान तक पहुंच गया। भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने इसका पुरजोर विरोध किया और सदन से वॉकआउट कर गए। इस पर भाजपा नेता तरुण चुग ने महाराजा हरि सिंह को महान सुधारवादी और प्रखर राष्ट्रवादी बताते हुए अब्दुल्ला, मुफ्ती, गांधी एवं नेहरू परिवार पर देश की एकता व अखंडता पर चोट पहुंचाने का आरोप लगाया।

चुग ने कहा, “महान सुधारवादी, प्रखर राष्ट्रवादी व पूरे विश्व में भारत का डंका बजाने वाले महाराजा हरि सिंह के बारे में अमर्यादित शब्दों का प्रयोग बहुत निंदनीय है। उन्होंने वहां बदलाव लाया, नागरिकों के अधिकारों के लिए काम किया। उन्होंने 1931 के गोलमेज सम्मेलन में भारत की आजादी की कामना करते हुए सभी भारतीय रियासतों को एक भारत श्रेष्ठ भारत के साथ जोड़ा।”

उन्होंने आगे कहा, “यह लोग ऐसे व्यक्ति का अपमान कर रहे हैं। असल में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के नेताओं को इतिहास आता ही नहीं है। इसके अलावा कांग्रेसियों से मैं निवेदन करूंगा कि इटली का चश्मा और पाकिस्तान का भोंपू फेंकें। उन्होंने भारत का गौरवपूर्ण इतिहास और महाराजा हरिसिंह द्वारा किए काम स्पष्ट दिखेंगे। बेवजह महाराजा के खिलाफ अपमानजनक शब्द कहना बंद करें। ऐसा करने वालों को सार्वजनिक रूप से पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।”

बता दें कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान पीडीपी के विधायक वहीद-उर-रहमान पारा ने कश्मीर में महाराजा हरि सिंह की सेना द्वारा मारे गए लोगों की याद में 13 जुलाई को और नेशनल कांफ्रेंस के संस्थापक शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर 5 दिसंबर को सार्वजनिक छुट्टी बहाल करने की मांग की।

इस पर बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने 13 जुलाई, 1931 को मारे गए लोगों को लेकर टिप्पणी की, जिसके बाद सदन का माहौल गरम हो गया। ज्ञात हो कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद उपराज्यपाल के नेतृत्व वाले प्रशासन ने इन दोनों छुट्टियों को रद्द कर दिया था और उनकी जगह 23 सितंबर (महाराजा हरि सिंह की जयंती) और 26 अक्टूबर (महाराजा द्वारा 1947 में भारत के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर) को छुट्टी घोषित की थी।

वहीद-उर-रहमान पारा ने कहा कि 13 जुलाई, 1931 का विरोध ‘सांप्रदायिक’ नहीं था, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के लोकतांत्रिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण क्षण था। उनका कहना था कि यह दिन राजशाही के खिलाफ विरोध का था और लोगों ने लोकतंत्र के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक 13 जुलाई को जान गंवाने वालों को मान्यता नहीं दी जाती और छुट्टी बहाल नहीं होती, तब तक बीजेपी जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ न्याय नहीं कर पाएगी।

इस पर बीजेपी विधायक सुनील शर्मा ने महाराजा हरि सिंह के योगदान की चर्चा की और कहा कि महाराजा के खिलाफ किसी भी टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शर्मा ने पारा पर तंज कसते हुए यह भी कहा कि वे महाराजा के बनाए राज्य में रहकर सुखद अनुभव ले रहे हैं।

इस बयान के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कुछ निर्दलीय विधायकों ने इसका विरोध किया और शर्मा से अपना बयान वापस लेने की मांग की। इसके बाद, विधानसभा स्पीकर राथर ने सुनील शर्मा की टिप्पणी को कार्यवाही से हटा दिया। इस पर बीजेपी विधायक भड़क गए और विरोधस्वरूप सदन से वॉकआउट कर दिया। इसके बाद, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद गनी लोन ने यह मांग की कि 13 जुलाई (शहीद दिवस) और 5 दिसंबर (शेख अब्दुल्ला की जयंती) पर छुट्टियां बहाल की जाएं।

सदन के बाहर पत्रकारों से बातचीत करते हुए शर्मा ने कहा कि 13 जुलाई, 1931 का विरोध प्रदर्शन तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के शासक महाराजा हरि सिंह के खिलाफ एक ‘विद्रोह’ था। उन्होंने उन प्रदर्शनकारियों को देशद्रोही करार दिया और कहा कि महाराजा हरि सिंह एक न्यायप्रिय शासक थे, और उन्होंने उनके खिलाफ विद्रोह किया, वह देशद्रोही थे। शर्मा ने यह भी सवाल उठाया कि वे लोग, जो 13 जुलाई के शहीदों के लिए आवाज उठा रहे हैं, 2010 और 2016 में मारे गए लोगों के लिए आंसू क्यों नहीं बहाते।

इसके बाद भाजपा नेता तरुण चुग ने विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंग्लैंड में एक कार्यक्रम में पीओके के भारत में मिलते ही कश्मीर मुद्दा खत्म होने वाले बयान पर कहा, “जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थाई विकास और शांति है। आज जम्मू-कश्मीर ढांचागत विकास की राजधानी बनकर सामने आया है। भारतीय रेल श्रीनगर तक पहुंच गई है। जम्मू कश्मीर की जनता ने पीएम मोदी के विजन पर लगातार भरोसा प्रकट किया है। स्थानीय निकाय चुनावों में लोगों ने बढ़चढ़ कर हिस्सेदारी की है। यह स्पष्ट करता है कि जम्मू-कश्मीर की जनता ने भारी वोटिंग के माध्यम से अपनी भूमिका स्पष्ट की है।”

उन्होंने आगे कहा, “वो धरती, जो बॉयकाट की धरती थी, वह आज हर जगह हिस्सेदारी कर रही है। आज वहां जी-20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। जम्मू-कश्मीर आज टूरिज्म कैपिटल बन गया है। जम्मू-कश्मीर की पग-पग भूमि हमारी मातृभूमि है। वहां का कण-कण हमारा है। यह हमारी प्रतिबद्धता है। यह भारत की संसद के दोनों सदनों का संकल्प है। जम्मू-कश्मीर को वापस लेना हमारी प्रतिबद्धता है।”

इसके बाद उन्होंने कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की योग्यता पर सवाल उठाने वाले बयान पर कहा, “नेहरू-गांधी परिवार ने हमेशा नौसिखिए नेताओं को देश की जनता पर थोपा है। जनता को बरगला कर देश को नौसिखिए नेता दिए हैं। कांग्रेस ने हमेशा भ्रष्टाचारवाद, परिवारवाद और अलगाववाद की ओर देश को धकेला है। इससे देश को भारी नुकसान हुआ है। मणिशंकर अय्यर ने देर से ही सही सच तो कहा।

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