
बीएनटी न्यूज़
पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में विलय के बाद बिहार में बयानबाजियों का दौर शुरू हो गया है। दोनों के एक साथ आने पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि बिहार को विषाक्त करने के मकसद से कीटाणु और विषाणु एक साथ आए हैं।
उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर और आरसीपी सिंह जैसे नेता आपस में मिलकर ये सोच रहे हैं कि वे जनता को बर्बाद कर देंगे, लेकिन शायद उन्हें नहीं मालूम कि बिहार की जनता के पास एक ‘एंटीवायरस’ है, जिसका नाम एनडीए है। पीके और आरसीपी की जोड़ी को ये समझना चाहिए कि एनडीए का एंटीवायरस किसी भी वायरस से निपटने में कारगर है। प्रशांत किशोर हों या आरसीपी सिंह, ये दोनों राजनीतिक तौर पर असफल लोग हैं। इससे हास्यास्पद स्थिति और क्या हो सकती है कि 6 महीने 18 दिन पहले नई पार्टी बनाने वाले आरसीपी सिंह ने उसका विलय प्रशांत किशोर की उस जन सुराज पार्टी में कर दिया, जिसे बने अभी केवल 7 महीने 16 दिन हुए हैं। यह तथ्य बताने को काफी है कि इन दोनों का कोई जनाधार नहीं है।
उन्होंने कहा कि ये दोनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ काम कर चुके हैं, लेकिन अगर ये दोनों वहां टिककर नहीं रह पाए तो इसकी सबसे बड़ी वजह ये रही कि दोनों का व्यक्तिगत स्वार्थ सबसे ऊपर रहा।
इधर, बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर पहले जदयू में थे, एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और एक अध्यक्ष रहे थे। सबको पता है कि ये किसके इशारे पर हो रहा है। इसमें कोई टिप्पणी करने की जरूरत नहीं।
इस बीच, जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने दोनों को राजनीति के विषैले कीटाणु बताते हुए कहा कि आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ विश्वासघात किया। ये दोनों राजनीति के छूटे हुए कारतूस हैं और जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं। एक तरफ संपत्ति सृजन करने वाले आरसीपी सिंह हैं तो दूसरी तरफ प्रशांत किशोर तेलंगाना की कंपनियों से आर्थिक लेनदेन करते हैं।
आरसीपी सिंह को चुनौती देते हुए उन्होंने कहा कि नालंदा के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ लें, अगर मुखिया के चुनाव से भी आपको कम वोट नहीं मिले तो मैं राजनीति करना छोड़ दूंगा।