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हिंदू मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए विहिप चलाएगा अभियान, विजयवाड़ा से होगा शंखनाद

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अपडेटेड 26 दिसंबर 2024, 9:14 PM IST
हिंदू मंदिरों की सरकारी नियंत्रण से मुक्ति के लिए विहिप चलाएगा अभियान, विजयवाड़ा से होगा शंखनाद
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने गुरुवार को देशव्यापी जन-जागरण अभियान की घोषणा की है। विहिप के संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे ने एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि अब सभी राज्य सरकारों को मंदिरों के नियंत्रण, प्रबंधन और दैनंदिनी कार्यों से स्वयं को अविलंब अलग कर लेना चाहिए, क्योंकि उनका यह कार्य हिंदू समाज के प्रति भेदभाव पूर्ण है।

मिलिंद परांडे ने कहा कि संतों और हिंदू समाज के श्रेष्ठ लोगों की अगुवाई में आगामी 5 जनवरी से इस संबंध में एक देशव्यापी जन जागरण अभियान शुरू किया जाएगा। इस अखिल भारतीय अभियान का शंखनाद आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित ‘हैंदव शंखारावम’ नामक लाखों लोगों के विशेष और विराट समागम में होगा।

विहिप संगठन महामंत्री ने कहा, “देश की स्वाधीनता के उपरांत मंदिरों को हिंदू समाज को सौंप देना चाहिए था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक के बाद एक अनेक राज्य सरकारें संविधान के अनुच्छेद 12, 25 और 26 की अनदेखी करती रहीं। जब कोई मस्जिद या चर्च उनके नियंत्रण में नहीं तो भला हिंदुओं के साथ ही यह भेदभाव क्यों? अनेक उच्च न्यायालयों तथा सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा दिए गए स्पष्ट संकेतों के बावजूद सरकारें मंदिरों के प्रबंधन और संपत्तियों पर सरकारें कब्जा जमा कर बैठी रहीं।”

परांडे ने कहा कि मंदिरों के प्रबंधन और नियंत्रण का कार्य अब हिंदू समाज के निष्ठावान और दक्ष लोगों को सौंप देना चाहिए। इस बारे में विहिप ने सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित वकीलों, उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीशों, पूज्य संतों तथा विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं को मिलाकर एक चिंतन टोली बनाई है, जिसने मंदिरों के प्रबंधन और उससे जुड़े किसी भी प्रकार के विवादों के निस्तारण हेतु अध्ययन कर एक प्रारूप तैयार किया है।”

उन्होंने कहा कि इसमें यह बात और सामने आई है कि जब सरकारें, मंदिर समाज को लौटाएंगी तो स्वीकार कैसे करेंगे और किस प्रावधान के अंतर्गत करेंगे। इसीलिए कुछ संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों द्वारा संतों, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ती या जज तथा सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों के साथ समाज के प्रतिष्ठित लोग, जो हिंदू शास्त्रों और आगम की विधियों के ज्ञाता हैं, ऐसे लोगों को एकत्र कर राज्य स्तर की एक धार्मिक परिषद बनाएंगे। यह राज्य स्तरीय परिषद जिला स्तरीय परिषद् और मंदिर के न्यासियों का चुनाव करेगी, जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के साथ समाज के विविध वर्गों का सहभाग होगा। विवादों के निस्तारण के लिए एक प्रक्रिया निश्चित की जाएगी।

उन्होंने कहा, “ऐसे प्रस्तावित कानून का एक प्रारूप बीते सप्ताह ही हमने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से मिलकर उन्हें उनके विचारार्थ सौंपा था। हमारी ऐसी ही चर्चा अन्य राज्य सरकारों तथा विभिन्न राजनीतिक दलों से भी चल रही है।”

इससे पहले, गत 30 सितंबर को विहिप ने देश के सभी राज्यों के राज्यपालों को ज्ञापन सौंप कर उनकी सरकारों को मंदिरों के प्रबंधन से हट जाने के लिए निवेदन किया था। मंदिरों की मुक्ति के इस अखिल भारतीय जागरण अभियान के अंतर्गत इन मंदिरों की चल-अचल संपत्तियों की रक्षा तथा उनके योग्य विनियोग-समाज की सेवा तथा धर्म प्रचार हेतु करने के लिए हिंदू समाज का जागरण प्रारम्भ हो गया है।

विहिप ने कहा, “मंदिरों को हिंदू समाज को सौपने से पूर्व हमारा आग्रह है कि मंदिरों और एंडोमेंट विभाग में नियुक्त सभी गैर-हिंदुओं को निकाला जाए। भगवान की पूजा, प्रसाद और सेवा में सिर्फ गहरी आस्था रखने वाले हिंदुओं को ही लगाया जाए। मंदिर के न्यासियों और प्रबंधन में किसी राजनेता या किसी राजनीतिक दलों से जुड़े व्यक्तियों को न रखा जाए। मंदिर के अंदर और बाहर के हिस्सों में सिर्फ हिंदुओं की ही दुकानें हों। मंदिर की जमीन पर गैर-हिंदुओं द्वारा बनाए हुए तथा अन्य सभी अवैध निर्माणों को हटाया जाना चाहिए। मंदिरों की आय को सिर्फ हिंदू धर्म के प्रचार और उससे जुड़े विषयों पर ही खर्च किया जाए।”

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