
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। गोड्डा (झारखंड) से लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे ने संथाल परगना में जनसंख्या असंतुलन पर चिंता जताते हुए बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 में संथाल परगना में आदिवासी आबादी 45 प्रतिशत थी, जो 2011 की जनगणना के अनुसार घटकर 28 प्रतिशत रह गई है। वहीं, मुस्लिम जनसंख्या, जो 1951 में 9 प्रतिशत थी, 2011 में बढ़कर 24 प्रतिशत हो गई है।
सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि देशभर में मुस्लिम जनसंख्या में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन संथाल परगना में यह बढ़ोतरी 15 प्रतिशत तक पहुंच गई है। उन्होंने दावा किया कि यह वृद्धि बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण हुई है, जो पश्चिम बंगाल के रास्ते देवघर, दुमका, अररिया, गोड्डा और जामताड़ा सहित कई इलाकों में फैल चुके हैं।
उन्होंने सरकार से इस घुसपैठ को रोकने और संथाल परगना सहित झारखंड के अन्य जिलों में जनसंख्या असंतुलन की जांच करने की मांग की। दुबे ने कहा कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में यह बड़ा सामाजिक और सुरक्षा संकट बन सकता है।
इस दौरान, दक्षिणी राज्यों में परिसीमन को लेकर चल रहे विवाद पर निशिकांत दुबे ने कहा कि 1973 में परिसीमन के बाद कांग्रेस शासित राज्यों में सीटों की संख्या में वृद्धि देखी गई थी। 1973 के परिसीमन के बाद, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यथास्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। निशिकांत दुबे ने कहा, “मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और अन्य जैसे कांग्रेस शासित राज्यों में सीटों की संख्या में वृद्धि हुई है। साथ ही, यह वही पार्टी है जिसने परिसीमन अभियान के लिए जनसंख्या को मानक बनाने की वकालत की थी।” उनका यह बयान स्टालिन के नेतृत्व वाली डीएमके द्वारा यह आशंका जताए जाने के बाद आया है कि जनसंख्या आधारित परिसीमन से संसद में तमिलनाडु के प्रतिनिधित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
हाल ही में चेन्नई में सर्वदलीय बैठक के दौरान डीएमके प्रमुख स्टालिन ने मांग की कि 1971 की जनगणना को परिसीमन के माध्यम से सीटों के आवंटन का आधार बना रहना चाहिए, साथ ही उन्होंने आशंका जताई कि उत्तर-दक्षिण की आबादी में मौजूदा असमानता के कारण उन्हें कई लोकसभा सीटों से हाथ धोना पड़ सकता है।