
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। पीएम मोदी ने मंगलवार को चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक फॉन्ट और उनके उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल का भारत में उनके पहले राजकीय दौरे पर स्वागत किया। उन्होंने चिली को लैटिन अमेरिका में भारत का ‘महत्वपूर्ण मित्र और साझेदार’ बताया।
संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने बढ़ते द्विपक्षीय संबंधों पर प्रकाश डाला और सहयोग को अधिक बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “लैटिन अमेरिका में चिली भारत का एक महत्वपूर्ण मित्र और साझेदार देश है। आज की चर्चाओं में हमने आने वाले दशक में सहयोग बढ़ाने के लिए कई नई पहलों की पहचान की। हम आपसी व्यापार और निवेश में बढ़ोतरी का स्वागत करते हैं। हम इस बात पर सहमत हैं कि इसमें और अधिक सहयोग की क्षमता भी है।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों पक्षों ने अपनी टीमों को ‘व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते’ पर चर्चा शुरू करने का निर्देश दिया, जिससे व्यापार संबंधों को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि भारत डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, रेलवे और अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में चिली के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने का इच्छुक है। उन्होंने अंटार्कटिका के प्रवेश द्वार के रूप में चिली के रणनीतिक महत्व को रेखांकित किया और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित आशय पत्र का स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने चिली की स्वास्थ्य सुरक्षा में भारत के योगदान पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने सहयोग को और गहरा करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
राष्ट्रपति बोरिक ने कहा, “चिली की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारत एक विश्वसनीय भागीदार रहा है। हम इस सहयोग को और गहरा करने पर सहमत हुए।”
सांस्कृतिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए, पीएम मोदी ने 4 नवंबर को राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में अपनाने के चिली के फैसले की सराहना की और इसे एक ‘प्रेरक’ संकेत बताया।
वैश्विक स्तर पर, दोनों नेताओं ने बातचीत के माध्यम से संघर्षों को हल करने की जरुरत पर सहमति जताई और समकालीन चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) और अन्य वैश्विक संस्थाओं में सुधारों का समर्थन किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “भारत और चिली इस बात पर सहमत हैं कि सभी तनावों और विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाया जाना चाहिए। हम इस बात पर एक राय रखते हैं कि वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य संस्थाओं में सुधार जरूरी हैं। हम मिलकर वैश्विक शांति और स्थिरता में योगदान देना जारी रखेंगे।”