
बीएनटी न्यूज़
जम्मू। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के साथ कथित संलिप्तता के लिए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया।
एक पुलिस कांस्टेबल, एक स्कूल शिक्षक और एक सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक जूनियर सहायक को संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्त किया गया है, जो “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में” बिना जांच के बर्खास्तगी की अनुमति देता है। तीनों फिलहाल जेल में बंद हैं। एलजी प्रशासन द्वारा अब तक आतंकवाद से संबंध रखने वाले 75 से अधिक सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।
बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान पुलिस कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर, स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक एजाज अहमद और श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर सहायक वसीम अहमद खान के रूप में हुई है।
साल 2007 में भर्ती हुए कांस्टेबल मलिक इश्फाक नसीर 2021 में हथियारों की तस्करी की जांच के दौरान संदेह के घेरे में आए। उन्होंने कहा कि उनके भाई मलिक आसिफ पाकिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी थे और 2018 में मारे गए थे, लेकिन उन्होंने पुलिस में सेवा करते हुए कथित तौर पर संगठन का समर्थन करना जारी रखा।
साल 2011 में शिक्षा विभाग में शामिल हुए एजाज अहमद को हथियार, गोला-बारूद और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन की प्रचार सामग्री की तस्करी करते हुए पाया गया। नवंबर 2023 में नियमित पुलिस जांच के दौरान उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जांच के अनुसार, ये हथियार कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों के लिए भेजे गए थे, जिन्हें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादी आबिद रमजान शेख ने भेजा था।
साल 2007 में नियुक्त श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर सहायक वसीम अहमद खान कथित तौर पर एक आतंकी साजिश में शामिल पाया गया था, जिसके तहत जून 2018 में पत्रकार शुजात बुखारी और उनके सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी गई थी।