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जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट ने भारत में ‘इंडिया स्टडीज’ में पहला एम.ए. पाठ्यक्रम शुरू किया

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अपडेटेड 08 मार्च 2025, 7:10 AM IST
जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट ने भारत में ‘इंडिया स्टडीज’ में पहला एम.ए. पाठ्यक्रम शुरू किया
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट (जेआईआई) ने 5 मार्च को जेजीयू इंटरनेशनल एकेडमी, ताज महल होटल, मान सिंह रोड, नई दिल्ली में एक वर्षीय ‘एम.ए. इन इंडिया स्टडीज’ कार्यक्रम की शुरुआत की जो पूरी तरह ऑनलाइन है। जेआईआई ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) का हिस्सा है।

इंडिया स्टडीज में मास्टर डिग्री का पहला ऐसा कार्यक्रम है जो किसी भारतीय विश्वविद्यालय द्वारा पेश किया गया है। इस कोर्स का उद्देश्य भारत को उसकी बौद्धिक परंपराओं और वर्तमान परिस्थितियों के दृष्टिकोण से समझने का अवसर देना है।

आज के दौर में, जब भारत की वैश्विक पहचान लगातार बढ़ रही है, यह कोर्स भारत की संस्कृति, समाज और दृष्टिकोण को गहराई से समझने की जरूरत को पूरा करता है। यह कार्यक्रम पूरी तरह ऑनलाइन है, जिससे खासतौर पर कामकाजी लोग दुनिया के किसी भी कोने से भारत की विविध सांस्कृतिक और बौद्धिक धरोहर का अध्ययन कर सकते हैं।

यह पाठ्यक्रम खासतौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए उपयोगी है, जैसे विदेशी राजनयिक, दुनियाभर में फैले भारतीय मूल के लोग, कारोबारी, भारत के प्रति गहरी रुचि रखने वाले व्यक्ति और भारत व दक्षिण एशिया के शोधकर्ता। यह उन्हें भारत की समृद्ध सभ्यता और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की मौजूदा प्रासंगिकता को गहराई से समझने का अवसर देता है।

कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में एक परिचर्चा हुई, जिसका विषय था—”भारत को समझना : कूटनीति में भारत संबंधी विशेष ज्ञान की भूमिका।” इसमें चार प्रमुख राजनयिक शामिल हुए, जिन्होंने उच्च स्तर पर भारत के साथ काम किया है।

इस पैनल में शामिल थे – प्रोफेसर (डॉ.) अनिल सुकलाल (दक्षिण अफ्रीका के भारत में उच्चायुक्त), मारियानो अगस्टिन काउचिनो (अर्जेंटीना के भारत में राजदूत), गनबोल्ड डंबजाव (मंगोलिया के भारत में राजदूत), रोमन बाबुश्किन (रूस के दूतावास में मंत्री-सलाहकार एवं उप मिशन प्रमुख)।

सभी पैनल सदस्यों ने अपने विचार साझा किए कि भारत के बारे में गहरी और विशेष जानकारी होने से राजनयिक प्रभावशीलता कैसे बढ़ती है और द्विपक्षीय व बहुपक्षीय संबंध कैसे मजबूत होते हैं। पैनल सदस्यों ने भारत के साथ अपने अनुभव और भावनाओं को भी व्यक्त किया, जिसमें उन्होंने भारत की विशालता, जटिलता और बढ़ते वैश्विक महत्व के बारे में बात की।

मारियानो अगस्टिन ने स्वीकार किया कि जब वे भारत आए तो उनके पास भारत की सीमित जानकारी थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने इसकी व्यापकता और गतिशीलता को समझ लिया। उन्होंने भारत को “भविष्य का देश” कहा।

गनबोल्ड डंबजाव ने भारत और मंगोलिया के गहरे आध्यात्मिक संबंधों पर बात की। उन्होंने कहा, “हम भारत में हैं, तो हमें कर्म की बात करनी ही चाहिए।” उन्होंने यह भी माना कि वे अभी भी भारत की भाषाई, सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता को समझने की प्रक्रिया में हैं। उन्होंने भारत को मंगोलिया का “आध्यात्मिक पड़ोसी” बताया।

रोमन बाबुश्किन स्वयं को ‘इंडोफाइल’ (भारत-प्रेमी) मानते हैं। उन्होंने भारत में रूसी राजनयिकों को मिलने वाली आत्मीयता का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि “दो चीजें दुनिया में कहीं और नहीं मिलती – भारतीय शादियां और भारतीय चुनाव।”

प्रो.अनिल सूकलाल भारतीय प्रवासी समुदाय से भी जुड़े हैं। उन्होंने ने इंडिया स्टडीज प्रोग्राम को “अति आवश्यक” बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कार्यक्रम भारत को गहराई से समझने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बनेगा। उन्होंने भारत की विविधता पर जोर देते हुए कहा, “भारत का हर राज्य एक अलग देश जैसा है।” उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के कार्यक्रम दुनिया को भारत के साथ उसके वास्तविक स्वरूप में जुड़ने में मदद करेंगे।

इस कार्यक्रम में 45 से अधिक प्रतिष्ठित मेहमान शामिल थे, जिनमें विभिन्न देशों के राजनयिक, वरिष्ठ पत्रकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रमुख सदस्य मौजूद थे। इस कार्यक्रम में इंडिया स्टडीज पाठ्यक्रम की रूपरेखा और उसके प्रमुख उद्देश्यों की भी जानकारी दी गई। ‘एमए इन इंडिया स्टडीज’ कार्यक्रम की शुरुआत, भारत को व्यवस्थित और बहुआयामी तरीके से समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति और जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सी. राजकुमार ने इस पहल की जरूरत को रेखांकित करते हुए कहा, “भारत की समृद्ध बौद्धिक परंपराओं और इसके ऐतिहासिक व आधुनिक महत्व के बावजूद, भारतीय विश्वविद्यालयों में भारत को समझने के प्रयास बिखरे हुए रहे हैं। इनमें एक व्यवस्थित और बहुआयामी दृष्टिकोण की कमी रही है। दुनिया भर के कई संस्थानों ने ‘इंडिया स्टडीज’ के लिए विशेष केंद्र स्थापित किए हैं, लेकिन भारत में ऐसी पहलें अब भी सीमित हैं। जिंदल इंडिया इंस्टिट्यूट और इसका ‘मास्टर इन इंडिया स्टडीज’ कार्यक्रम इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट के महानिदेशक प्रो. (डॉ.) श्रीराम चौलिया ने इस कार्यक्रम की प्रासंगिकता को समझाते हुए कहा कि जैसे-जैसे भारत वैश्विक मंच पर अपनी पहचान मजबूत कर रहा है, वैसे-वैसे उसका समृद्ध इतिहास, विविध परंपराओं और बदलते वैश्विक किरदार को समझने के लिए एक ठोस अकादमिक ढांचे की जरूरत बढ़ रही है। भारत के इस उत्थान के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि हम अपनी सभ्यता और बौद्धिक विरासत को गहराई से समझें। जिंदल इंडिया इंस्टीट्यूट का ‘मास्टर इन इंडिया स्टडीज’ पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को भारत के अतीत और वर्तमान को उसकी बौद्धिक परंपराओं के आधार पर गहराई से समझने के लिए आवश्यक ज्ञान और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

इस कार्यक्रम के समापन पर जिंदल इंडिया इंस्टिट्यूट ने भारत के इतिहास, विचारधाराओं और समकालीन विषयों को वैश्विक स्तर पर गहराई से समझने और उन्हें बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।

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