
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने ड्रोन के बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि ड्रोन आज के समय में युद्ध की परिभाषा को बदल चुका है लेकिन पीएम मोदी को इसके बारे में जानकारी नहीं है। राहुल गांधी ने कहा था कि भारत के प्रतिद्वंदी देश ड्रोन तकनीक के मामले में हमसे कहीं आगे निकल चुके हैं, लेकिन भारत में इस मामले में कोई विकास नहीं हो रहा है। राहुल गांधी के इस वीडियो पर ड्रोन फेडरेशन इंडिया (डीएफआई) के प्रेसिडेंट स्मित शाह ने कड़ी प्रतिक्रिया की है।
स्मित शाह ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट में बताया कि राहुल गांधी का कथन तथ्य के आधार पर गलत है। भारत सरकार ने न केवल साल 2021 में ड्रोन की अहमियत को पहचान लिया था बल्कि देश का इकोसिस्टम आज ड्रोन के मामले में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्मित शाह ने राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए जिन्होंने अपने हाथ में प्रतिबंधित चीनी ड्रोन लिया हुआ था और उसे संभावित रेड जोन में भी उड़ाया, जिसके लिए संभवत उनके पास कोई परमिशन भी नहीं थी।
स्मित शाह ने कहा, “हाल ही में हमारे एक प्रमुख नेता ने एक वीडियो में चीनी ड्रोन को हाथ में लेकर कहा कि भारतीय इकोसिस्टम अभी भी ड्रोन के विभिन्न भागों को नहीं समझता है और भारत में हम ऑप्टिक्स या बैटरी या इस तरह के किसी भी प्रकार के पुर्जे नहीं बनाते हैं। जबकि भारत में लगभग चार सौ से अधिक कंपनियां हैं जो विभिन्न प्रकार के ड्रोन बना रही हैं। इतना ही नहीं, भारत में पचास से अधिक ड्रोन कंपोनेंट कंपनियां हैं जो बैटरी, मोटर, प्रोपेलर, फ्लाइट कंट्रोलर, जीएनएसएस और ऐसे कई विभिन्न प्रकार के कंपोनेंट बनाती हैं।”
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में केवल यह कहना कि भारतीय इकोसिस्टम में ड्रोन के पुर्जे बनाने की कोई समझ नहीं है, एक बहुत ही अजीब बयान है जो पूरे भारतीय इकोसिस्टम के लिए हतोत्साहित करने वाला है। उन्होंने अपने हाथ में एक चीनी ड्रोन पकड़ा हुआ था जिसका आयात भी प्रतिबंधित है। मुझे नहीं पता कि यह पंजीकृत है या नहीं। क्या उनके पास ड्रोन पायलट सर्टिफिकेट है? इसके अलावा, यह वीडियो दिल्ली में शूट किया गया लगता है, जो एक रेड जोन है। क्या वहां नागरिक उड्डयन मंत्रालय या गृह मंत्रालय से कोई अनुमति ली गई थी? मुझे लगता है कि अगर बदलाव लाने की जरूरत है, तो यह सिर्फ आलोचक बनकर और यह कहकर नहीं किया जा सकता कि भारत में किसी को कुछ नहीं आता। जमीन पर उतरकर वास्तविक सुझाव देने की जरूरत है।
ड्रोन को लेकर भारत सरकार ने कितना काम किया और आज क्या स्थिति है, पर जानकारी देते हुए स्मित शाह ने आगे कहा, “यह कोई नई बात नहीं है कि भारतीय इकोसिस्टम को ड्रोन पार्ट्स और ड्रोन कंपोनेंट्स पर काम करना चाहिए। ड्रोन तकनीक और ड्रोन कंपोनेंट्स के महत्व के बारे में भारत सरकार ने 2021 में ही सोचा था। 2021 में केंद्र सरकार ने उद्योग और शिक्षा जगत से मिले फीडबैक के आधार पर ड्रोन नियम 2021 लाया और इकोसिस्टम में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लाया, जिसकी वजह से आज इकोसिस्टम के पास कम से कम 1700 से 1800 करोड़ का रेवेन्यू है।”
उन्होंने आगे बताया कि सरकार भारतीय इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम लेकर आई। सरकार ने पीएलआई स्कीम के तहत 20 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया था और इन सबके बाद सभी विदेशी ड्रोन कंपनियों से भारत में निर्माण किए बिना सीधे ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। ये सारे फैसले इसलिए लिए गए क्योंकि 2021 में इंडस्ट्री, शिक्षा जगत और सबसे महत्वपूर्ण सरकार ने ड्रोन तकनीक के महत्व को समझा। हमने इसे एक अवसर के रूप में देखा और इसके लिए एक विजन तय किया कि भारत में ड्रोन के क्षेत्र में हमें डिजाइन डेवलपमेंट, निर्माण, निर्यात और सबसे महत्वपूर्ण बौद्धिक संपदा स्वामित्व में अग्रणी बनना है और 2030 तक हमें भारत को वैश्विक ड्रोन हब बनाना है।
स्मित शाह ने राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा, “मैं यह कहना चाहूंगा कि सिर्फ ड्रोन को हाथ में लेकर यह कह देने से बदलाव नहीं आएगा कि हमें इसके किसी भी हिस्से की समझ नहीं है और भारत में इस पर कोई काम नहीं कर रहा है। अगर बदलाव लाना है तो सिर्फ बदलाव लाने की बात करने से वह नहीं आएगा। ड्रोन के पुर्जे बनाने के लिए किस तरह के आरएनडी कार्यक्रम होने चाहिए? उद्योग और शिक्षा जगत के बीच किस तरह का सहयोग होना चाहिए? सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए? नागरिक उड्डयन मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, कृषि मंत्रालय जैसे विभिन्न मंत्रालय इसमें क्या भूमिका निभा सकते हैं, इन पर विशेष सुझावों की जरूरत है। सिर्फ यह मत कहिए कि यह ड्रोन चीन में बना है और भारतीय इकोसिस्टम में इसकी समझ नहीं है और हम इसके पुर्जे नहीं बनाते हैं।