
बीएनटी न्यूज़
भोपाल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहन राव भागवत ने मंगलवार को कहा कि टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी और आधुनिक विज्ञान तथा तकनीक में जो गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा।
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सरस्वती विद्या मंदिर में विद्या भारती के पांच दिवसीय अखिल भारतीय पूर्णकालिक कार्यकर्ता अभ्यास वर्ग का शुभारंभ करते हुए सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि आज के समय में तकनीक समाज के हर क्षेत्र में अपना प्रभाव डाल रही है।
उन्होंने कहा, “हमें टेक्नोलॉजी के लिए एक मानवीय नीति बनानी होगी, आधुनिक विज्ञान और तकनीक में जो कुछ गलत है, उसे छोड़ना पड़ेगा और जो अच्छा है उसे स्वीकार कर आगे बढ़ना होगा।”
सरसंघचालक ने विद्या भारती के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि विद्या भारती केवल शिक्षा प्रदान करने का कार्य नहीं करती बल्कि समाज को सही दिशा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विश्व भारत की ओर देख रहा है, उसे मानवता को दिशा देनी होगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए, उसे व्यापक दृष्टिकोण से देखना होगा। मानवता को सही दिशा देने के लिए आवश्यक है कि हम अपने कार्य को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाएं। परिवर्तन आवश्यक है क्योंकि संसार स्वयं परिवर्तनशील है, लेकिन यह अधिक महत्वपूर्ण है कि परिवर्तन की दिशा क्या होनी चाहिए।
उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विशेषता पर जोर देते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता बनाए रखनी होगी। भारत की संस्कृति ने हमेशा सभी को जोड़ने का कार्य किया है और इसे बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। प्रत्येक व्यक्ति को यह समझना चाहिए कि वह समाज का अभिन्न अंग है और समाज भी उसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दृष्टिकोण से हमें अपने कार्यों को संचालित करना चाहिए।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि समाज में कई विचारधाराएं हैं और हमें उन लोगों को भी साथ लेकर चलना है जो हमारे विचारों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी का भी मत भिन्न हो सकता है, लेकिन कार्य करने की दिशा सही होनी चाहिए।