बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। ओडिशा के भुवनेश्वर में 8 जनवरी से 18 वां प्रवासी भारतीय दिवस समारोह शुरू होगा। इस समारोह में दुनियाभर से हजारों प्रवासी भारतीय हिस्सा लेंगे।
प्रवासी भारतीय दिवस की शुरुआत जनवरी 2003 में महात्मा गांधी के 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने की घटना को याद करते हुए की गई थी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य प्रवासी भारतीयों के योगदान और उनकी उपलब्धियों को पहचानना है।
इस बार प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन पहली बार देश के पूर्वी हिस्से में हो रहा है। देश के पूर्वी हिस्से में आयोजन की वजह से यह कार्यक्रम केंद्र सरकार की ‘पूर्वोदय’ योजना को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। यह योजना बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के समग्र विकास के लिए बनाई गई है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024 के बजट में ‘पूर्वोदय’ योजना का ऐलान किया था। इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का लाभ उठाते हुए ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने की योजना बनाई गई थी। ओडिशा में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन इस योजना के साथ मेल खाता है, क्योंकि ओडिशा खनिजों, लोहा और इस्पात निर्माण, समुद्री अर्थव्यवस्था, खेल, कौशल, और ज्ञान अर्थव्यवस्था में प्रमुख स्थान रखता है। राज्य में कई भारतीय आईटी कंपनियों ने भी अपने कार्यालय स्थापित किए हैं।
प्रवासी भारतीय दिवस समारोह ओडिशा की ताकत को दुनिया के सामने लाने का एक अच्छा अवसर होगा। ओडिशा का दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ सदियों पुराना समुद्री संबंध भी है। ओडिशा के व्यापारी, भिक्षु और यात्री अतीत में दक्षिण-पूर्व एशिया के कई देशों की यात्रा करते थे, जिससे यहां के लोग सांस्कृतिक और व्यापारिक रूप से जुड़े थे।
इस वर्ष, प्रवासी भारतीय दिवस कार्यक्रम में रामायण, प्रौद्योगिकी और प्रवासी भारतीयों पर आधारित प्रदर्शनियां आयोजित की जाएंगी। रामायण प्रदर्शनी में यह दिखाया जाएगा कि कैसे यह महाकाव्य दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में पहुंचा और वहां के लोग इसे अब भी बड़े आदर के साथ मानते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में ओडिशा के पारादीप में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की रिफाइनरी के उद्घाटन के दौरान ‘पूर्वोदय’ योजना का विचार प्रस्तुत किया था। अब, प्रवासी भारतीय दिवस समारोह ओडिशा के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।