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‘भारत को तोड़ने के लिए मिला विदेश से पैसा’, यूएसएआईडी को लेकर निशिकांत दुबे के दावे से हड़कंप

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अपडेटेड 10 फ़रवरी 2025, 7:18 PM IST
‘भारत को तोड़ने के लिए मिला विदेश से पैसा’, यूएसएआईडी को लेकर निशिकांत दुबे के दावे से हड़कंप
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। झारखंड के गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को संसद में यूएसएआईडी द्वारा गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी से जुड़े ट्रस्टों को फंडिंग देने के मामले को उठाया। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से इस पूरे मामले में जांच की मांग की। इस दौरान कांग्रेस के सांसदों ने जमकर नारेबाजी की।

निशिकांत दुबे ने कहा कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसएआईडी को पूरी तरह से बंद कर दिया है। उन्होंने इसके पीछे का कारण बताया कि यूएसएआईडी वर्षों से केवल विभिन्न सरकारों को गिराने के लिए पैसा खर्च करती रही है और भारत के लिए इसके आंकड़े बहुत महत्वपूर्ण हैं।

उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष से कई सवाल पूछे। दुबे ने प्रमुखता से पूछा कि क्या यूएसएआईडी ने ओपन सोसाइटी फाउंडेशन और जॉर्ज सोरोस को भारत में राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को पैसे दिए थे, ताकि देश को कमजोर किया जा सके? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा को यूएसएआईडी से पैसा मिला था?

इसके अलावा, उन्होंने बांग्लादेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार माने जाने वाले बांग्लादेश के प्रमुख युनुस से गांधी परिवार के संबंधों पर सवाल किया। उन्होंने राजीव गांधी फाउंडेशन के विजय महाजन और उनकी संस्थाओं को यूएसएआईडी द्वारा पैसे दिए जाने का सवाल भी उठाया।

उन्होंने सवाल किया कि क्या यूएसएआईडी ने ‘रूरल डेवलपमेंट ट्रस्ट’ को वित्तीय सहायता दी है, जो जातिगत जनगणना की बात करता है और क्या यह ट्रस्ट भारत को तोड़ने के लिए काम कर रहा है? उन्होंने कहा कि इसी संगठन ने तालिबान को पैसा दिया और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के समय नेपाल में हिंदू राष्ट्र को खत्म करने के लिए पैसा दिया था। भारत में आतंकवादी गतिविधियां बढ़ाने के लिए इसी संगठन से पैसा मिलता रहा है और कांग्रेस को उससे मदद मिल रही है। इस संगठन ने देश में विभिन्न देशविरोधी गतिविधियों के लिए पैसा दिया है।

सांसद ने आगे कहा कि ह्यूमन राइट्स लॉ, शेरपा, कोऑर्डिनेशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, राइट ऑफ फूड कैम्पेन, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च, इकोनॉमिस्ट और कई अन्य संस्थाएं यूएसएआईडी से पैसे प्राप्त करती हैं, जो कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के साथ मिलकर देश को कमजोर करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने अंत में सरकार से आग्रह किया कि इस मामले की पूरी जांच हो और यह पता लगाया जाए कि पिछले वर्षों में यूएसएआईडी ने किन-किन संस्थाओं और ट्रस्टों को पैसा दिया है।

बता दें कि यूएसएआईडी की स्थापना 1961 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी के प्रशासन के तहत की गई थी और यह अमेरिकी सरकार की मानवीय शाखा है। यह गरीबी को कम करने, बीमारियों का इलाज करने, अकाल और प्राकृतिक आपदाओं में राहत और मदद के लिए दुनिया भर में सालाना अरबों डॉलर वितरित करती है। यह गैर-सरकारी संगठनों, स्वतंत्र मीडिया और सामाजिक पहलों का समर्थन करके लोकतंत्र निर्माण और विकास को भी बढ़ावा देती रही है।

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