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पेरिस। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत सार्वजनिक भलाई के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एप्लीकेशन विकसित कर रहा है और देश के पास दुनिया का सबसे बड़ा एआई टैलेंट पूल है।
‘एआई एक्शन समिट’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “देश यह सुनिश्चित करने के लिए अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है कि “एआई का भविष्य अच्छे और सभी के लिए है।”
इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा कि भारत अपनी विविधता को देखते हुए अपना स्वयं का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) बना रहा है।
प्रधानमंत्री ने बताया, “कंप्यूटिंग पावर जैसे संसाधनों को एकत्रित करने के लिए हमारे पास एक यूनिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल भी है। यह हमारे स्टार्ट-अप और शोधकर्ताओं को किफायती कीमत पर उपलब्ध कराया गया है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि एआई की सकारात्मक क्षमता बिल्कुल अद्भुत है, लेकिन कई पूर्वाग्रह भी हैं जिनके बारे में हमें ध्यान से सोचने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा, “हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर गुणवत्तापूर्ण डेटा सेट बनाना चाहिए। हमें टेक्नोलॉजी का लोकतंत्रीकरण करना चाहिए और जन-केंद्रित एप्लिकेशन को बनाना चाहिए। हमें साइबर सुरक्षा, दुष्प्रचार और डीपफेक से संबंधित चिंताओं का समाधान करना चाहिए। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीक प्रभावी और उपयोगी होने के साथ स्थानीय इकोसिस्टम के अनुरूप हो।”
पूरी दुनिया में एआई तेजी से विकसित हो रहा है और उससे भी तेज रफ्तार से इसे लागू किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “एआई स्वास्थ्य, कृषि और अन्य के जरिए लाखों लोगों की जिंदगी को बदल सकता है। यह एक ऐसी दुनिया बनाने में मदद कर सकता है जिसमें सतत विकास लक्ष्यों की यात्रा आसान और तेज हो जाएगी।”
एआई के कारण नौकरियां खत्म होने की बहस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इतिहास गवाह है कि टेक्नोलॉजी के कारण काम खत्म नहीं होता है।
उन्होंने आगे कहा, “नौकरियों के प्रकार बदल जाते हैं और नई तरह की नौकरियां पैदा होती हैं। हमें इसके लिए स्किल और रि-स्किलिंग में निवेश करना होगा, जिससे एआई से संचालित होने वाले भविष्य के लिए लोग तैयार हो सकें।”