
बीएनटी न्यूज़
भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मंत्री विजय शाह को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मांग की कि वह मंत्री शाह का इस्तीफा लें।
सर्वोच्च न्यायालय ने विजय शाह मामले की सोमवार को सुनवाई करते हुए तीन आईपीएस अफसरों की एसआईटी बनाने के आदेश दिए हैं। वहीं, विजय शाह की माफी को स्वीकार नहीं किया है।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा है कि न्यायालय ने सेना का सम्मान किया है, लेकिन भाजपा की केंद्र और राज्य की सरकार सेना का सम्मान नहीं करती।
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने मंत्री द्वारा मांगी गई माफी को स्वीकार नहीं किया और कहा कि यह कृत्य माफी योग्य नहीं है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि यह स्वीकारने योग्य है, इसीलिए अभी तक वह मंत्री पद पर बने हुए हैं।
नेता प्रतिपक्ष सिंघार ने कहा कि वीडियो में साफ नजर आ रहा है, देश के हर व्यक्ति को सच्चाई दिख रही है, मगर भाजपा के संगठन और सरकारों को यह नजर नहीं आ रहा है। अगर भारतीय जनता पार्टी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश व टिप्पणी को गंभीरता से लेती है, तो तत्काल सरकार से विजय शाह का इस्तीफा लेना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष ने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा देश और आमजन को यह बताना चाहती है कि जनता की भावनाओं से ऊपर है और वह किसी की बात नहीं सुनती है, यह उसका घमंड है। वह न तो जनभावना को सुनती है और न ही सेना के अपमान पर गंभीर है। न्यायालय के आदेश पर सामान्य व्यक्ति की तो गिरफ्तारी हो जाती है, मगर न्यायालय के आदेश के बावजूद मंत्री पर कार्रवाई नहीं हुई है।
उमंग सिंघार ने कहा कि कांग्रेस की मांग विजय शाह के इस्तीफे की है। इसके लिए आंदोलन किए जा रहे हैं, पार्टी संगठन इस्तीफे की मांग कर रहा है। इसके लिए विधानसभा का भी घेराव किया जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर एसआईटी बनेगी और उसमें तीन आईपीएस अफसर रहेंगे। इन अफसरों से उम्मीद है कि वे निष्पक्ष होकर जांच कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे।
पिछले दिनों मंत्री विजय शाह ने भारतीय सेना की सैन्य अधिकारी सोफिया कुरैशी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। मंत्री की इस टिप्पणी को न्यायालय ने स्वतः संज्ञान में लेते हुए प्रकरण दर्ज करने के आदेश दिए थे।
वहीं, मंत्री ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। सर्वोच्च न्यायालय ने रिपोर्ट को खारिज करने से इंकार किया है, माफी को भी स्वीकार नहीं किया, साथ ही एसआईटी के गठन का आदेश दिया है।