
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ को राष्ट्रीय चेतना का प्रतीक बताया है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ से देश को कई प्रेरणाएं मिली हैं, जिनमें एकता के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण भी शामिल है।
भाजपा के राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने महाकुंभ को लेकर लोकसभा में पीएम मोदी के संबोधन पर कहा, “भारत की महान सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपराएं, हमारी प्राचीन खगोलीय गणनाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक उत्कृष्टता के प्रतीक हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मानव इतिहास के सबसे बड़े आयोजनों में से एक प्रयागराज महाकुंभ के भव्य आयोजन पर लोकसभा में अपना संबोधन दिया, तो यह एक ऐतिहासिक और असाधारण क्षण था, जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात थी। हालांकि, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ चुनिंदा लोग अभी भी इसके सकारात्मक पहलुओं को देखने में विफल हैं और कुछ नकारात्मकता तलाशते रहते हैं। ऐसे लोगों ने कभी भी भारत और भारतीय संस्कृति की महानता को स्वीकार नहीं किया।”
उन्होंने आगे कहा कि कुंभ मेला इतना भव्य और विशाल आयोजन था कि प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अमृत के समान है। 66 करोड़ लोग इसमें शामिल हुए, 100 से अधिक देशों ने भाग लिया, लाखों विदेशी पर्यटक आए और 73 देशों के राजनयिक मौजूद थे। विभिन्न जातियों, क्षेत्रों, समुदायों और भाषाओं के लोग एक साथ आए। हालांकि, इतने शानदार आयोजन में भी कुछ लोगों को केवल नकारात्मकता ही दिखाई दी। कौन नहीं आया? मैं कहूंगा कि केवल ‘औरंगजेब फैन क्लब’ के सदस्य अनुपस्थित थे। जिन्होंने इरेडिकेशन ऑफ सनातन धर्म अर्थात हिंदू धर्म के समूह नाश का अभियान चलाया हुआ है, उनको अच्छाई नजर नहीं आई।
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि यह सिर्फ 144 साल बाद होने वाला कुंभ नहीं था, यह 450 साल में इलाहाबाद की जगह प्रयागराज में आयोजित होने वाला पहला महाकुंभ था। यह 450 साल में पहला कुंभ था, जिसमें पवित्र अक्षयवट किले की दीवारों तक सीमित नहीं था, बल्कि सभी श्रद्धालुओं के लिए खुला था। प्रधानमंत्री मोदी ने सही कहा, ‘महाकुंभ का संदेश यह है कि भारत एकजुट रहेगा।’ उन्होंने कुंभ के सार पर भी जोर देते हुए कहा, ‘जैसे गंगा अविरल बहती है, वैसे ही हमारा समाज भी अखंड रहना चाहिए।