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सीईसी की नियुक्ति पर राहुल गांधी की असहमति राजनीति से प्रेरित : अमित मालवीय

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अपडेटेड 18 फ़रवरी 2025, 8:07 PM IST
सीईसी की नियुक्ति पर राहुल गांधी की असहमति राजनीति से प्रेरित : अमित मालवीय
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की असहमति को राजनीति से प्रेरित बताया है और कांग्रेस पर उसके कार्यकाल में सीईसी को सेवानिवृत्ति के बाद उपकृत करने के कुछ उदाहरण दिए हैं।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाते राहुल गांधी सीईसी और अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन करने वाली समिति के सदस्य हैं। प्रधानमंत्री की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हैं। राहुल गांधी ने सोमवार देर रात ज्ञानेश कुमार को सीईसी नियुक्त करने के सरकार के निर्णय की आलोचना करते हुए नियुक्ति समिति की संरचना और सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

अमित मालवीय ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति पर राहुल गांधी की असहमति न केवल “राजनीति से प्रेरित” है, बल्कि इसमें कोई दम भी नहीं है। उन्होंने इसे निर्वाचित सरकार के संवैधानिक जनादेश को कमजोर करने का प्रयास बताया।

मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी ने अपनी असहमति में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को “गलत तरीके से” और अपनी सुविधा के हिसाब से पेश किया है। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 2 मार्च 2023 को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में संशोधन किया। 1990 की गोस्वामी समिति की रिपोर्ट और 255वीं विधि आयोग की रिपोर्ट से प्रेरणा लेते हुए, पीठ ने फैसला सुनाया कि राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश वाली समिति की सिफारिश के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करनी चाहिए। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद स्थायी तंत्र स्थापित करने वाला कानून नहीं बना लेती।

भाजपा नेता ने कहा कि संविधान निर्माताओं की मूल मंशा को निर्धारित करने के लिए, न्यायालय ने 1949 की संविधान सभा की बहसों का विश्लेषण किया और पाया कि अनुच्छेद 324(2) में “संसद द्वारा बनाए जाने वाले किसी भी कानून के प्रावधानों के अधीन” वाक्यांश ने नियुक्ति प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से संसद के विवेक पर छोड़ दिया है।

अमित मालवीय ने दावा किया कि वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया “अधिक ढांचागत, पारदर्शी और समावेशी” है। इस फैसले से पहले, राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति केवल प्रधानमंत्री की सिफारिश पर करते थे।

सीईसी की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि कानून मंत्री (वर्तमान में अर्जुन राम मेघवाल) और दो वरिष्ठ नौकरशाहों के नेतृत्व में एक खोज समिति पांच उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करती है। यह सूची प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री (इस मामले में गृह मंत्री) वाली चयन समिति को भेजी जाती है। राष्ट्रपति उनकी सिफारिश के आधार पर नए सीईसी की नियुक्ति करते हैं।

कांग्रेस पर उसके शासनकाल में शक्तियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए अमित मालवीय ने मीडिया रिपोर्टों के हवाले से बताया है कि के.वी.के. सुंदरम् (1958-67) को सेवानिवृत्ति के बाद लॉ कमीशन का चेयरमैन बनाया गया। नागेंद्र सिंह (1972-73) को पद्म विभूषण दिया गया। आर.के. त्रिवेदी (1982-85) को पद्म भूषण देने के साथ राज्यपाल नियुक्त किया गया।

उन्होंने बताया कि वी.एस. रमादेवी (1990) को राज्यपाल बनाया गया। टी.एन. शेषण (1990-96) ने तो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा। एम.एस. गिल (1996-2001) राज्यसभा के सदस्य और मंत्री बने।

इसी प्रकार, जे.एम. लिंगदोह (2001-04) बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे, जबकि एन. गोपालस्वामी (2006-2009) को पद्म भूषण से नवाजा गया।

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