
कॉलेजों को दिए 243 करोड़ रुपये, टीचर्स को फिर भी नहीं मिला वेतन : दिल्ली सरकार
नई दिल्ली, 7 अगस्त (बीएनटी न्यूज़)| दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकार द्वारा 70 प्रतिशत बजट में वृद्धि करने के बावजूद अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थता व्यक्त करने पर दिल्ली सरकार के वित्त पोषित दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के प्रति गुरुवार को कड़ा ऐतराज जताया। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “पिछले 5 वर्षो में बजट आवंटन में 70 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू कॉलेजों की वेतन देने में असमर्थता भ्रष्टाचार की ओर इशारा करती है।”
उन्होंने कहा, डीयू कॉलेजों के प्रशासन पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं। भ्रष्टाचार के कारण ये कॉलेज गवनिर्ंग बॉडी बनाने में देर कर रहे हैं और दिल्ली सरकार मनोनित सदस्यों को लेने से इनकार कर रहे हैं। हमने पिछले महीने डीयू के कुलपति को इन भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में लिखा था, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
दिल्ली सरकार के मुताबिक वर्ष 2014-15 में डीयू के कॉलेजों का बजट 144.39 करोड़ रुपये था। दिल्ली सरकार ने इसे बढ़ाकर वर्ष 2019-20 में 242.64 करोड़ रुपये और 2020-21 में 243 करोड़ रुपये कर दिया है। पांच वर्षो में बजट आवंटन में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद, डीयू बजट की कमी की शिकायत कर रहा है।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, डीयू का पिछले साल (2019-20) का 242.64 रुपये का बजट उनके सभी खचरें को पूरा करने के लिए पर्याप्त था। पिछले दो वर्षों में 27 करोड़ रुपये के फंड आवंटन में वृद्धि के बावजूद डीयू क्यों कह रहा है कि बजट पर्याप्त नहीं है।”
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, वर्ष 2020-21 के लिए 243 करोड़ रुपये के बजट में से, 56.25 करोड़ रुपये (बजट का करीब 23 प्रतिशत) पहले ही जुलाई 2020 के अंत तक जारी किए जा चुके हैं। इसलिए डीयू कॉलेज अप्रैल, मई और जून के लिए वेतन का भुगतान करने में सक्षम क्यों नहीं हैं। डीयू कॉलेजों के अलावा, दिल्ली सरकार और भी कई विश्वविद्यालयों को फंड प्रदान करती है, जो सीधे सरकार के शिक्षा विभाग के प्रशासन के अंतर्गत आते हैं। हम कभी भी उनके यहां फंड की कमी होने या अपने कर्मचारियों को वेतन देने में असमर्थ होने की बात नहीं सुनते हैं।