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भारत की मंशा के अनुसार हो रही एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया : पूर्व डीजीएमओ

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अपडेटेड 14 फ़रवरी 2021, 2:29 PM IST
भारत की मंशा के अनुसार हो रही एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया : पूर्व डीजीएमओ
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भारत की मंशा के अनुसार हो रही एलएसी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया : पूर्व डीजीएमओ

नई दिल्ली, 14 फरवरी (बीएनटी न्यूज़)| वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास तैनात भारतीय और चीनी सेना के जवानों के पीछे हटने को लेकर कई दावे किए जा रहे हैं। इस बीच सामने आया है कि सैनिकों के पीछे हटने की घटना 1959 में किए गए चीनी दावों के अनुसार नहीं हो रही है।

पूर्व सैन्य संचालन महानिदेशक (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया (रिटायर्ड) ने आईएएनएस को बताया, “एलएसी पर सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया चीन के 1959 के दावे के अनुसार नहीं हो रही है। यह पूरी तरह से गलत और असत्य है कि भारत ने एलएसी पर चीन के दावे को स्वीकार किया है।”

उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसी यथास्थिति चाहता है, जिसका तात्पर्य अप्रैल 2020 में स्थान, स्थिति और तैनाती को लेकर है, जो कि चीनी सेना की ओर से मई 2020 में तैनाती शुरू होने से ठीक पहले थी।

भाटिया ने कहा, “उनके अनुसार, चीनी स्थिति फिंगर 8 के पूर्व में, पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर सिरिजाप नामक स्थान पर रही है। हमारी जगह धन सिंह थापा नामक स्थान पर रही है। अप्रैल 2020 में यही तो स्थिति थी, जो पिछले कई वर्षों से एक पारंपरिक स्थिति रही है।”

चीन के 1959 के दावे के बारे में बात करते हुए, भाटिया ने कहा कि यह बहुत सारी व्याख्याओं और धारणाओं पर आधारित है।

पूर्व डीजीएमओ ने कहा, “सैनिकों का पीछे हटना, उनके संघर्ष बिंदुओं पर हो रहा है, जो पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट पर सबसे अधिक संवेदनशील हैं।” उन्होंने कहा कि ये वहीं संघर्ष बिंदु हैं, जहां टैंक के साथ ही सेना के वाहनों और पैदल सैनिकों का एक दूसरे से बहुत निकटता से आमने-सामना होता है।

उन्होंने कहा, “इन संघर्ष बिंदुओं में झड़पों की संभावना है, जो कि देखा भी गया है। पैंगोंग झील का दक्षिणी तट सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। वहां से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और बाद में यह अन्य क्षेत्रों में भी शुरू हो जाएगी।”

भाटिया ने कहा कि यह एक लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है, जो कि एक आसान काम भी नहीं है। उन्होंने कहा, “ये ऊंचाई वाले क्षेत्र हैं और इसमें समय लगेगा। वे (चीन) उनके द्वारा किए गए निर्माणों को खाली करवाएंगे, बंकरों और बस्तियों को फिंगर 5 और फिंगर 6 से हटाएंगे।”

उन्होंने कहा, “भारत का उद्देश्य यथास्थिति पाना रहा है और इसे हासिल किया गया है। अब यह नहीं कहना चाहिए कि स्थिति 1959 वाली रही है। यह एक बिल्कुल गलत बयान है।”

भाटिया ने कहा कि भारत को अब अपनी क्षमताओं का निर्माण शुरू करना चाहिए और साथ ही टोही एवं निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही भारत तो अपनी त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में भी इजाफा करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में इस तरह के मंसूबों को अंजाम न दिया जा सके।

सेवानिवृत्त अधिकारी ने कहा कि पहला कदम हमेशा संकट को हल करने के लिए होता है और फिर चीजें कदम से कदम आगे बढ़ाकर की जाती हैं। उन्होंने यह भी माना कि सीमा मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत जारी रहनी चाहिए।

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