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आईएसआई के खालिस्तानी एजेंडे से निपटने को केंद्र की निगाह सेवानिवृत्त अधिकारियों पर

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अपडेटेड 16 मार्च 2021, 9:04 AM IST
आईएसआई के खालिस्तानी एजेंडे से निपटने को केंद्र की निगाह सेवानिवृत्त अधिकारियों पर
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आईएसआई के खालिस्तानी एजेंडे से निपटने को केंद्र की निगाह सेवानिवृत्त अधिकारियों पर

नई दिल्ली, 16 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| इस साल 26 जनवरी को किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली में लालकिले पर हुई हिंसा में खालिस्तानी आंदोलन की पहुंच और इसके एजेंडे का पता चलने के बाद अब केंद्र सरकार ने उन सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों की मदद लेने का फैसला किया है, जिन्होंने 1980 के दशक में पंजाब उग्रवाद से निपटने में अहम भूमिका निभाई थी।

इसके अलावा, पंजाब पुलिस ने सोशल मीडिया के माध्यम से खालिस्तान समर्थक गतिविधियों के लिए युवाओं के कट्टरपंथीकरण (रेडिकलाइजेशन) की पृष्ठभूमि में विशेष डी-रेडिकलाइजेशन काउंसलरों की भर्ती करने का भी फैसला किया है।

सरकार के एक सूत्र ने कहा, “सरकार ने कहा है कि खालिस्तानी समूह, सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने किसानों के विरोध और उन्हें उकसाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।”

पंजाब में उग्रवाद 1990 के दशक में समाप्त हो गया था, लेकिन पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने अब खालिस्तान के तौर पर एक स्वतंत्र राज्य के लिए सिखों के बीच अलगाववादी आंदोलन को प्रोत्साहित करने की अपनी गुप्त योजना को पुनर्जीवित कर दिया है।

सूत्रों ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान आईएसआई जून 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद पनपी गुस्से की प्रबल भावना जैसी स्थिति जाग्रत करना चाहता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगों में काफी लोगों की जान गई थी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ऐसी ही स्थिति फिर से दोहराने के लिए सिख समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रही है।

किसानों ने केंद्र की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल 26 नवंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। उसी समय से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान डटे हुए हैं।

किसानों की ओर से केंद्र द्वारा पारित किए गए तीन कानून, किसान उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम पर किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) 2020 का कड़ा विरोध किया जा रहा है।

इसे एक अवसर के तौर पर देखते हुए, आईएसआई भारत में खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने के प्रयास कर रही है।

खालिस्तानी अलगाववादी कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी और अमेरिका जैसे देशों में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और फर्जी खबरों के माध्यम से राज्य में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के प्रयास कर रहे हैं।

आईएसआई ने व्यवस्थित कट्टरपंथीकरण कार्यक्रम के लिए फ्रिंज समूहों को सक्रिय किया है।

बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई), खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ), खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ), खालिस्तान कमांडो फोर्स (केसीएफ), एसएफजे और इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसकेएफ) जैसे फ्रिंज समूहों को आईएसआई के साथ ही कनाडा, यूके, जर्मनी और ब्रिटेन में बैठे अलगाववादियों का समर्थन भी मिल रहा है।

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