लोकसभा में शिक्षा मंत्री ने दी नई शिक्षा नीति को लेकर विस्तृत जानकारी
नई दिल्ली, 17 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को लोकसभा के अंदर नई शिक्षा नीति को लेकर विस्तृत जानकारी सामने रखी। इस दौरान निशंक ने कहा कि भारत की नई शिक्षा नीति राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय भी है। यह इनोवेटिव भी है। इस पर दूर-दूर तक कोई उंगली नहीं उठा सकता। यह नीति केवल एक सरकार या एक विभाग की नीति नहीं है, यह भारत की नीति है। शिक्षा नीति से करोड़ों छात्र-छात्राओं छात्र-छात्राओं शिक्षकों अभिभावकों की भावनाएं जुड़ी हैं। निशंक ने लोकसभा में कहा, “नई शिक्षा नीति के लिए हमने देशभर से सुझाव मांगे और हमें जो सुझाव मिले, उनमें एक-एक सुझाव का विश्लेषण करने के बाद नई शिक्षा नीति बनाई गई है। जहां से लॉर्ड मैकाले भारत आए थे, आज वह देश भी भारत की शिक्षा को स्वीकारने लगा है। उन्होंने कभी यह कहा था कि इस देश में शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त है, लेकिन उन्होंने आज हमें स्वीकार कर लिया है। पूरी दुनिया ने यह स्वीकारा है कि नई शिक्षा नीति के रूप में यह भारत का सबसे बड़ा सुधार है। यहां तक कि यूनेस्को ने भी कहा है कि जो अपनी भाषा में अभिव्यक्ति होती है वह अभिव्यक्ति सीखी हुई भाषा में नहीं हो सकती। हम नई शिक्षा नीति के तहत मात्रिभाषा में सीखने की पॉलिसी लाए हैं।”
शिक्षा मंत्री ने कहा, “यदि दुनिया के सभी विकसित देशों को देखें तो सभी ने अपनी मातृभाषा में शिक्षा की व्यवस्था की है। नई शिक्षा नीति के तहत हम वोकेशनल एजुकेशन लाए हैं, वह भी इंटर्नशिप के साथ। यह इंटर्नशिप जब होगी, तो छात्र 12वीं तक आते-आते तक आते-आते कौशल विकास में निपुण होगा।”
इस देश में 1043 विश्वविद्यालय हैं। 45 हजार से अधिक से अधिक डिग्री कॉलेज हैं। अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा भारत में छात्र हैं। भारत में 33 करोड़ से अधिक छात्र हैं।
मंत्री ने कहा कि विश्व स्तरीय रैंकिंग को देखकर लगता है कि अभी हमारे देश में शोध एवं रिसर्च के क्षेत्र में सुधार की गुंजाइश है। हालांकि सारी दुनिया में हमारे देश के पढ़ने वाले बच्चे छाए हुए हैं। आईआईटी से निकले छात्र दुनिया में हर जगह फैले हुए हैं चाहे फिर वह गूगल हो या फिर अमेरिका की कोई बड़ी कंपनी।
निशंक ने संसद को बताया, “हमने मूल्यांकन का तरीका भी बदला है। अब छात्रों को रिपोर्ट कार्ड कार्ड नहीं देंगे, उसे मूल्यांकन पत्र देंगे। राष्ट्रीय स्तर पर भी मूल्यांकन की अलग प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अब उच्च शिक्षा में विषयों की बाध्यता भी नहीं होगी। छात्र अपनी इच्छा के अनुसार विषय चुन सकेंगे। विभिन्न कोर्सो के लिए एंट्री और एग्जिट के बहु विकल्प होंगे। यदि कोई 1 वर्ष तक कोर्स कर पाता है तो है तो उसकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी उसे 1 वर्ष का डिप्लोमा मिलेगा। यदि छात्र चाहे तो जहां से उसने छोड़ा है दोबारा वहीं से शुरू कर सकता है।”
निशंक ने कहा कि 43 लाख 72 हजार गरीब बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था सरकार कर रही है। इसके लिए 1000 करोड़ रुपये से अधिक राशि खर्च की जा रही है। इग्नू जैसा संस्थान दूरस्थ क्षेत्रों में इस समय 8 लाख 19 हजार से अधिक छात्रों को शिक्षा दे रहा है।
शिक्षा मंत्री के मुताबिक, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए तमाम व्यवस्थाएं की गई हैं। स्वयंप्रभा के 32 चैनल ऑनलाइन शिक्षा के लिए शुरू किए गए। छात्र कहीं अवसाद में न चला जाए इस स्थिति को भी समझते हुए इस पर काम किया गया है।
उन्होंने कहा, “हमने बच्चों का 1 साल खराब नहीं होने दिया। हमने नीट की परीक्षा करवाई कोरोना काल में जेईई की परीक्षा करवाई। बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव अधिकारियों ने हमसे नीट और जेईई परीक्षाओं के दौरान किए गए प्रबंधन की जानकारी ली और चुनाव में इसके आधार पर व्यवस्था की गई।”