
आईआईएम-इंदौर के निदेशक बोले, सकारात्मक संप्रेषण की जरूरत
भोपाल, 25 अप्रैल (बीएनटी न्यूज़)| भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), इंदौर के निदेशक हिमांशु राय ने कहा है कि जनसंपर्क का असली मायने संप्रेषण है और संप्रेषण सकारात्मक होना चाहिए। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पब्लिक रिलेशन्स सोसायटी ऑफ इंडिया के भोपाल चेप्टर द्वारा रविवार को आयोजित राष्ट्रीय जनसंपर्क दिवस-2022 में राय ने जनसंपर्क को लेकर कहा कि पीआर के असली मायने सम्प्रेषण है, चाहे वह बात आपकी शारीरिक भाषा से किया गया हो या फिर आपकी बोलने वाली भाषा या बोली से। हिमांशु राय ने कहा, “हमें डेटा और इन्फॉर्मेशन में अंतर करना होगा। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा सकारात्मक सम्प्रेषण करना चाहिए।”
वहीं प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य प्रो.बी.आर. गुप्ता ने कहा कि इन दिनों पीआर को प्रोपोगंडा के संदर्भ में देखा जाने लगा है। न्याय व्यवस्था, मीडिया और राजनीति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं, यही कारण है कि जनता में असमंजस की स्थिति है और विश्वास का संकट बढ़ गया है, जिस पर मंथन की जरूरत है।
इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर ने कहा कि विश्वास के आधार पर ही जनसंपर्क होता है। वर्तमान समय मे सामाजिक सरोकार का संकट है, क्योंकि लोग आत्मकेंद्रित हो रहे हैं।
जबकि प्रेसीडेंट आर्थर डी लिटिल इंडिया बृजेश सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में संवाद का संकट पैदा हो गया है। सोशल मीडिया ने विश्वसनीयता का संकट भी खड़ा किया है। यह जनसंपर्क (पीआर) की ही ताकत थी कि सवा सौ करोड़ की जनसंख्या वाले देश में कोविड वैक्सीन का प्रोग्राम चल पाया। उन्होंने कहा कि मीडिया मैनेजमेंट पब्लिक रिलेशन्स नहीं है। उन्होंने कहा कि एग्रीकल्चर (कृषि) और चिकित्सा हेल्थ के क्षेत्र में पीआर की जरूरत है।
पीआरएसआई भोपाल चेप्टर के अध्यक्ष पुष्पेंद्र पाल सिंह ने कहा, “आज विश्वसनीयता का संकट पूरे विश्व में दिखाई दे रहा है। हमें इस पर विचार करना होगा। हमें अपनी कार्यप्रणाली और व्यवहार में ऐसे तत्वों का समावेश करना होगा, जिससे कि समाज में आपस में लोगों में विश्वास बढ़ सके, क्योंकि विश्वास ही वह रास्ता है जो समाज में लोगों को एक दूसरे के करीब लाता है।”
इस कार्यक्रम में जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव, जनसंपर्क राघवेंद्र सिंह भी उपस्थित रहे। इस मौके पर लोक संपर्क सम्मान पत्रकारिता और जनसंपर्क से जुड़े छह लोगों को सम्मानित किया गया। वहीं, स्मारिका ‘खेलों में जनसंपर्क बदलता : परिदृश्य’ का विमोचन भी किया गया।