संसद में गांधी प्रतिमा के बाहर धरने पर बैठे संजय सिंह समेत कई सांसद, सिंह के निलंबन का विरोध
अपने निलंबन और संसद में धरना देने पर संजय सिंह ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री मणिपुर हिंसा पर सदन में जवाब देने को तैयार नहीं हैं। भारत के 140 करोड़ लोग शर्मसार हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मणिपुर हिंसा पर सदन में जवाब देने को तैयार नहीं हैं।
संजय सिंह ने बताया कि सोमवार को राज्यसभा में मणिपुर हिंसा पर चर्चा के लिए 27 सांसदों ने नोटिस दिया था। लेकिन किसी पार्टी को बोलने की अनुमति नहीं मिली। संजय सिंह के मुताबिक, उन्हें टारगेट करके सस्पेंड कर दिया गया। सभापति की कार्रवाई पर प्रश्न उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह कैसा लोकतंत्र है।
संजय सिंह के समर्थन में उनके साथ धरने पर मौजूद कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि आज संसद के इतिहास में जो घटनाएं घटी हैं वो काली स्याही से लिखी जाएंगी। उन्होंने कहा, ”संजय सिंह ने कौन सा गुनाह कर दिया? इस मुद्दे पर आज पूरा विपक्ष, पूरा इंडिया एक साथ खड़ा है।”
सोमवार रात को संजय सिंह के साथ इस धरने में मौजूद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता व राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ”जिस तरह से संजय सिंह को निलंबित किया, ऐसा मैंने आज तक अपने लंबे राजनीति करियर में नहीं देखा। प्रोफेसर रामगोपाल ने कहा कि राज्यसभा चेयर के बारे में क्या कहूं, मनमोहन सिंह की सरकार हो या फिर अटल बिहारी वाजपयी, खूब हंगामे हुए, लेकिन ऐसा निलंबन आज तक नहीं देखा।”
वहीं शिवसेना-यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी इस धरने में संजय सिंह के साथ दिखीं। उन्होंने कहा, ”संजय सिंह केवल ‘वेल ऑफ द हाउस’ तक गए और उन्हें निलंबित कर दिया गया। ऐसी कोई प्रथा नहीं, यह सोची-समझी साजिश है। इंडिया अलायंस होने के बाद बीजेपी बैकफुट पर है।” उन्होंने सवाल किया कि मणिपुर के सीएम पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा, गृहमंत्री इतने विफल कैसे हैं?
राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा इस धरने में संजय सिंह के साथ हैं। झा ने कहा कि यह एक व्यक्ति का निलंबन नहीं, लोकतांत्रिक रवायतों का निलंबन है। उन्होंने कहा कि जब सभापति साहब का अटेंशन नहीं मिला तो संजय सिंह जी आगे गए। मनोज झा ने कहा, ”हम सबको संसद से निलंबित कर दो, लेकिन मणिपुर को न्याय दिलवाओ।” झा के मुताबिक, मंगलवार को राज्यसभा में विपक्ष के सांसद यही मांग करने वाले हैं।