
नेशनल कांफ्रेंस ने कहा, परिसीमन आयोग की बैठक में होंगे शामिल, पीडीपी ने किया इनकार
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| नेशनल कांफ्रेंस ने 20 दिसंबर को होने वाली परिसीमन आयोग की बैठक शामिल होने की सहमति जताई है। वहीं पीडीपी प्रमुख ने कहा उन्हें बैठक में भरोसा नहीं। कश्मीर और श्रीनगर से लोकसभा सदस्य फारूक अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद इस महीने के अंत में होने वाली परिसीमन आयोग की बैठक में शामिल होंगे।
इससे पहले इसी साल फरवरी में परिसीमन आयोग की पहली बैठक का बहिष्कार करने के बाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस आखिरकार 20 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली बैठक में भाग लेगी।
वहीं दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि परिसीमन आयोग पर उन्हें भरोसा नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि परिसीमन आयोग के माध्यम से भाजपा की कोशिश रहेगी कि जम्मू-कश्मीर की अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक आबादी को आपस में लड़ाया जाए और सीटें बढ़ाई जाएं, ताकि भाजपा को फायदा हो, इसीलिए परिसीमन आयोग पर हमें भरोसा नहीं है।
गौरतलब है कि परिसीमन आयोग ने सोमवार यानी 20 दिसंबर को दिल्ली में अपने सहयोगी सदस्यों की एक बैठक बुलाई है। आयोग के पांच सहयोगी सदस्य हैं जो जम्मू-कश्मीर से पांच लोकसभा सांसद हैं।
हालांकि बैठक में शामिल होने से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस ने परिसीमन आयोग से बैठक का एजेंडा मुहैया कराने की अपील की है। इस संबंध में दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग से नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि पार्टी ने आयोग को एक लिखित पत्र भेजा है, जिसमें कहा गया है कि वह प्रासंगिक सामग्री उपलब्ध कराए, ताकि पार्टी के सांसद यह तय कर सकें कि बैठक में भाग लेना है या नहीं। मसूदी ने कहा कि पार्टी बैठक में शामिल होने पर फैसला लेने से पहले एजेंडे पर गौर करना चाहती है।
हसनैन मसूदी ने कहा, ‘हमने परिसीमन आयोग को एक पत्र भेजा है और हमने उनसे बैठक के एजेंडे से अवगत कराने, हमें एजेंडा आइटम उपलब्ध कराने और उससे (एजेंडा आइटम) से संबंधित सभी सामग्री उपलब्ध कराने को कहा है।
उन्होंने कहा, हम उस सामग्री को देखना चाहते हैं जो हमें प्रदान की जाती है, ताकि हम उस पर गौर कर सकें और फिर अपना निर्णय ले सकें।
इससे पहले इसी साल फरवरी में, नेशलन कॉन्फ्रेंस ने परिसीमन आयोग से अनुच्छेद 370 और जेके पुनर्गठन अधिनियम 2019 को निरस्त करने की संवैधानिक वैधता और सुप्रीम कोर्ट में उनके खिलाफ याचिकाओं का हवाला देते हुए अपनी कवायद को रोकने का आग्रह किया था।