
पप्पू यादव 3 दशक पुराने अपहरण के मामले में बरी
पटना, 5 अक्टूबर (बीएनटी न्यूज़)| बिहार के मधेपुरा की एक स्थानीय अदालत ने सोमवार को चार बार के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को 32 साल पुराने अपहरण के एक मामले में बरी कर दिया। पप्पू यादव पिछले पांच महीनों से जेल में बंद थे। उन्हें उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब वह कोविड महामारी की दूसरी लहर के दौरान लोगों के कल्याण कार्यो में लगे हुए थे। सूत्र इस घटनाक्रम को कुशेश्वर स्थान और तारापुर विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से जोड़ रहे हैं।
बरी होने के बाद बड़ी संख्या में जन अधिकार पार्टी के समर्थक मधेपुरा कोर्ट में जमा हो गए और उन्होंने पप्पू यादव के पक्ष में नारेबाजी की।
पप्पू यादव ने कहा, “मैं पिछले 5 महीने से एक ऐसे मामले में जेल में बंद हूं, जिसमें आम लोगों को एक दिन के लिए भी बंद नहीं किया जा सकता। देश में आपातकाल जैसी स्थिति है। आम लोगों की हत्या हो रही है। यह तानाशाही शासन है, जहां किसानों की हत्या की जा रही है। इन सबके बावजूद, सच्चाई की हमेशा जीत होती है।”
उन्होंने और उनके जेएपी ने आरोप लगाया कि उनकी गिरफ्तारी सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा भाजपा के सारण सांसद राजीव प्रताप रूडी के आवास परिसर में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान लगभग 40 एंबुलेंस अप्रयुक्त स्थिति में रखे होने की बात उजागर करने पर राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा थी।
पप्पू यादव को 29 जनवरी, 1989 को मधेपुरा के मुरलीगंज पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज होने के तीन दशक बाद अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में शैलेंद्र यादव ने दावा किया था कि उनके चचेरे भाई राजकुमार यादव और पप्पू यादव के करीबी सहयोगी उमाकांत यादव के लोगों ने अपहरण कर लिया था।
हालांकि, ‘पीड़ित’ राजकुमार यादव ने दावा किया – पप्पू यादव को पांच महीने पहले जो गिरफ्तार किया गया था, वह भ्रम का मामला था।
उसने कहा, “मुझे और उमाकांत को 28 जनवरी 1989 को पप्पू यादव की गाड़ी में बिठाया गया था। कुछ घंटों के बाद, हम उनके घर से निकले और मधेपुरा पहुंचे। हमें शुरू में लगा कि हमारा अपहरण कर लिया गया है .. लेकिन वह भ्रम था।”