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महिलाओं ने 6 दिसंबर 1992 को राम जन्म भूमि पर हुए विध्वंस का नेतृत्व किया : भाजपा नेता

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अपडेटेड 07 दिसंबर 2021, 5:22 PM IST
महिलाओं ने 6 दिसंबर 1992 को राम जन्म भूमि पर हुए विध्वंस का नेतृत्व किया : भाजपा नेता
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महिलाओं ने 6 दिसंबर 1992 को राम जन्म भूमि पर हुए विध्वंस का नेतृत्व किया : भाजपा नेता

बेंगलुरु, 07 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| कर्नाटक में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रकाश शेषराघवचर ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के बारे में बात करते हुए कहा है कि उन्हें इस पर गर्व है। प्रकाश 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या गए थे और उन्होंने बाबरी विध्वंस में हिस्सा लिया था और पूरे घटनाक्रम को देखा था।

उन्होंने कहा, पुराने ढांचे को तोड़ने से आज भव्य राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है। यह एक ऐतिहासिक और गौरवपूर्ण क्षण था।

घटनाओं को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि वह महिलाओं का एक समूह ही था, जो सबसे पहले बाबरी मस्जिद के तीन गुंबदों पर चढ़ गया था और उन्हें तोड़ना शुरू कर दिया था। उसके बाद अन्य लोगों ने इसमें हिस्सा लिया।

भाजपा नेता ने कहा, मैं अयोध्या की यात्रा करने वाले कारसेवकों को विदा करता था। हजारों पुरुषों और महिलाओं की भावना को देखकर, मैंने भी अयोध्या की यात्रा शुरू करने का फैसला किया और एक दोस्त के साथ कर्नाटक एक्सप्रेस ट्रेन में सवार हो गया, जिसके दो भाई, पत्नी और बेटी भी कार सेवा के लिए आए थे। 2 दिसंबर की रात को इलाहाबाद से अयोध्या पहुंचने के लिए एक बस की व्यवस्था की गई थी। हमने 1.30 बजे मंदिर शहर (अयोध्या) में कदम रखा।

उन्होंने आगे कहा, हालांकि वह दिसंबर था, मगर उस तरह की कोई ठंड नहीं थी। हमें बताया गया था कि कार सेवा का विवरण 4 दिसंबर को दिया जाएगा। अगले दिन हमें सरयू नदी के किनारे से मुट्ठी भर रेत लाकर निर्दिष्ट स्थान पर डालने के लिए कहा गया। मुझे आरएसएस की वर्दी में 150 वर्ग फुट के निर्दिष्ट स्थान की रक्षा के लिए नियुक्त किया गया था। मैं रोमांचित था।

उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर को कारसेवक और अन्य लोग विवादित स्थल पर आसपास की सभी इमारतों पर खड़े हो गए। मानो पूरा शहर राम भक्तों से भर गया हो। हनुमान जैसा हुलिया बनाए हुए एक युवक पहले बैरिकेड्स के अंदर घुसा। लोग उनके पीछे चलने लगे और नारेबाजी करने लगे। उन्होंने कहा कि एक ऐसा मोड़ भी आया, जब माथे पर पीले रंग की पट्टी बांधे हुए 50 युवकों ने कारसेवकों को वहां से धकेलने की कोशिश की।

भाजपा नेता के अनुसार, इसके बाद हजारों कारसेवकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए। पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, विहिप नेता अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा की ओर से शांति बनाए रखने की अपील शोर-शराबे में कहीं खो गई। उन्होंने आगे कहा, हमने देखा कि महिलाओं की टीमों ने ढांचे के तीन गुंबदों पर चढ़ाई कर दी और उन्हें तोड़ना शुरू कर दिया। कारसेवकों का एक जत्था मदद के लिए आगे बढ़ा। राम भक्तों की ताकत को देखकर, पुलिस ने उन्हें रोकने की हिम्मत नहीं की। विवादास्पद ढांचा गिरना शुरू हो गया। शाम 6 बजे तक, तीनों गुंबदों को गिरा दिया गया।

अगले दिन, राम लला की मूर्ति स्थापित करने के लिए विवादास्पद ढांचे के अवशेषों को साफ किया गया। हजारों कारसेवकों ने अपने हाथों से मलबा साफ किया और एक अस्थायी मंदिर बनाने की व्यवस्था की गई।

उत्तर प्रदेश में 7 दिसंबर को राष्ट्रपति शासन की घोषणा कर दी गई थी। कारसेवकों को जगह खाली करने के स्पष्ट निर्देश मिल गए थे। अगले दिन सुबह 4 बजे रैपिड एक्शन फोर्स ने कारसेवकों को हिरासत में लेना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, हम चुपचाप अपना सामान लेकर रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़े।

उन्होंने कहा, अगर ऐसा नहीं होता तो भव्य राम मंदिर दूर का सपना बनकर रह जाता। मुझे इस पर गर्व है। एक पुराने ढांचे को गिराने से आज एक भव्य मंदिर का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

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