
बीएनटी न्यूज़
छत्रपती संभाजीनगर। महाराष्ट्र सरकार के कैबिनेट मंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संभावित गठबंधन पर प्रतिक्रिया जाहिर की है।
शिरसाट ने छत्रपति संभाजी नगर में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच गठबंधन की संभावना नहीं है। इसके पीछे उन्होंने कई कारण गिनाए। पहला राज ठाकरे ने पहले उद्धव ठाकरे को शिवसेना का कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे उद्धव ने ठुकरा दिया था। इसके बाद राज ठाकरे को पार्टी से दूर करने की कोशिशें हुईं, जिसने दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ा दी। दूसरा, उद्धव ठाकरे का वर्तमान गठबंधन कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ है। शिरसाट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे को राज ठाकरे के साथ जाना है, तो उन्हें कांग्रेस और एनसीपी का साथ छोड़ना होगा।
शिरसाट ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) की कार्यशैली पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उद्धव की पार्टी में बाहरी लोगों को हिस्सेदारी नहीं दी जाती और केवल करीबी लोगों को ही बढ़ाया जाता है। जब एकनाथ शिंदे गुट ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ा था, तब उनकी पहली शर्त यही थी कि उद्धव कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन न करें। आज राज ठाकरे ने भी यहीं बात कहीं है, लेकिन उद्धव ठाकरे के कांग्रेस व एनसीपी को छोड़ने की संभावना नहीं दिखती। आगे यही देखने को मिलेगा कि राज ठाकरे की सकारात्मक पहल को दूसरी ओर से नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी, और दोनों का गठबंधन नहीं होगा।”
वहीं शिवसेना (उद्धव गुट) के विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने के सवाल पर कहा कि दोनों भाई हैं, लेकिन उनकी राजनीति अलग-अलग है। यदि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे को एक साथ आना है, तो उन्हें आपस में बैठकर बात करनी होगी। यह चर्चा टीवी पर नहीं, बल्कि निजी तौर पर होनी चाहिए।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के मुंबई अध्यक्ष संदीप देशपांडे ने कहा कि मनसे ने पहले भी उद्धव ठाकरे का समर्थन किया, लेकिन हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी। वह पहले बीजेपी को आलोचना करते थे, फिर उनके साथ चुनाव लड़े और बाद में शरद पवार और कांग्रेस के साथ चले गए। अब शायद उन्हें महाविकास आघाडी (एमवीए) में अपनी गलती का अहसास हुआ है, लेकिन क्या उन पर भरोसा किया जा सकता है?”