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थरूर की क्षमताओं को नहीं भुना पा रही कांग्रेस, इसलिए खटखटा सकते हैं भाजपा का दरवाजा

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अपडेटेड 23 मार्च 2025, 1:09 AM IST
थरूर की क्षमताओं को नहीं भुना पा रही कांग्रेस, इसलिए खटखटा सकते हैं भाजपा का दरवाजा
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। तिरुवनंतपुरम से चौथी बार सांसद चुने गए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उनकी अंतरराष्ट्रीय पहचान और भाषण देने की कला उन्हें खास बनाती है। लेकिन पिछले कुछ सालों में उनके और कांग्रेस नेतृत्व के बीच दूरियां बढ़ी हैं।थरूर को लगता है कि कांग्रेस उनकी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रही। 2022 में उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे से हार गए। ऐसे में कहा जाने लगा है कि थरुर कभी भी भाजपा का दरवाजा खटखटा सकते है।

इस आशय के संकेत कई बार खुद थरूर दे चुके हैं। कभी वे कांग्रेस पार्टी के गाइडलाइन से हटकर बयान देते हैं तो कभी पीएम नरेंद्र मोदी और केरल की वामपंथी सरकार की तारीफ करते हैं। शनिवार को ही उनकी एक तस्वीर सामने आई है जिसमें वह भाजपा के सांसद जय पांडा के साथ दिख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि वह चाहते हैं कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी जिम्मेदारी दी जाए। लेकिन, राहुल गांधी और गांधी परिवार के प्रति उनकी वफादारी संदेश के घेरे में है। शशि थरूर केरल से आते हैं। वह तिरुवनंतपुरम से लगातार जीतते आए हैं। लेकिन, केरल कांग्रेस में उनकी नहीं चलती है। थरूर ने कई बार कहा है कि केरल में कांग्रेस को मजबूत नेतृत्व चाहिए। वह खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए उपयुक्त मानते हैं। राज्य में उनकी लोकप्रियता भी अच्छी है, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने उनकी इस इच्छा पर ध्यान नहीं दिया। थरूर अक्सर पार्टी लाइन से हटकर बयान देते हैं। हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केरल की वामपंथी सरकार की तारीफ की, जिससे कांग्रेस असहज हुई। थरूर ने कहा कि मोदी-ट्रंप मुलाकात भारत के लिए फायदेमंद हो सकती है। यह कांग्रेस पार्टी की राय से अलग राय है। कुछ नेताओं को लगता है कि वह पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। थरूर के सामने कांग्रेस के बाहर भी विकल्प हैं। केरल में सत्तारूढ़ वामपंथी गठबंधन (एलडीएफ) ने संकेत दिया है कि वह थरूर को स्वीकार कर सकता है।

बीजेपी भी उन्हें दक्षिण भारत में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है। एनसीपी जैसे अन्य दल भी उनके साथ जुड़ने को तैयार हैं। ऐसे में वह कांग्रेस छोड़ने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। सबसे अहम कारण शशि थरूर की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा है। थरूर सिर्फ सांसद बनकर नहीं रहना चाहते। वह संसद में बड़ी बहसों में शामिल होना चाहते हैं और राष्ट्रीय या राज्य स्तर पर प्रभावशाली भूमिका निभाना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस में उन्हें मौके नहीं मिल रहे। राहुल गांधी से उनकी हाल की मुलाकात भी बेनतीजा रही। अगर थरूर कांग्रेस छोड़ते हैं तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा। दक्षिण भारत, खासकर केरल में वह एक मजबूत चेहरा हैं। उनकी विद्वता और लोकप्रियता कांग्रेस को फायदा पहुंचाती है। उनके जाने से पार्टी की छवि और वोट बैंक पर असर पड़ सकता है। हालांकि संगठन के स्तर पर शशि थरूर उतना प्रभावी नहीं हैं। वह कोई जननेता नहीं हैं। मौजूदा हालात देखकर लगता है कि वह जल्द ही कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। उनकी नाराजगी, पार्टी से मतभेद और बाहर के विकल्प इस संभावना को मजबूत करते हैं।

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