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वक्फ बोर्ड मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

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अपडेटेड 06 अप्रैल 2025, 2:20 PM IST
वक्फ बोर्ड मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा
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बीएनटी न्यूज़

वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर विवाद गहरा गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद मोहम्मद जावेद ने इस संशोधन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि यह विधेयक मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सचेतक मोहम्मद जावेद, जो वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य थे, ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में इस कानून को संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 25 (धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता), 26 (धार्मिक मामलों के प्रबंधन की स्वतंत्रता), 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) और 300अ (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन बताया है।
जावेद का आरोप है कि यह कानून मुस्लिमों के धार्मिक अधिकारों पर अनावश्यक प्रतिबंध लगाता है। याचिका में कहा गया है कि इस संशोधन से उन लोगों को भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संपत्ति समर्पित करने में कठिनाई होगी, जिन्होंने हाल ही में इस्लाम धर्म अपनाया है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन होता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद की संरचना में संशोधन करके वक्फ प्रशासनिक निकायों में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक मामलों में अनुचित हस्तक्षेप है। जावेद का मानना है कि इस प्रकार का हस्तक्षेप अन्य धार्मिक संस्थाओं में लागू नहीं होता, जो कि संविधान की समानता की भावना के खिलाफ है।
इस बीच, एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी वक्फ संशोधन विधेयक को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि वक्फ संशोधन विधेयक अभी कानून के रूप में लागू नहीं हुआ है, क्योंकि इसे राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन को लेकर कई बदलावों का प्रस्ताव है, जिसमें वक्फ न्यायाधिकरणों की शक्तियों का विस्तार और वक्फ बोर्डों की संरचना में संशोधन किया गया है। विपक्षी दलों का आरोप है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों पर हमला है।

राहुल गांधी का वक्फ विधेयक पर हमला
वक्फ संशोधन विधेयक भले ही संसद के दोनों सदनों से पास हो गया हो पर इस पर विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम राजनीतिक दल इस विधेयक को लेकर विरोध जता रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी ने वक्फ बिल को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है और उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए सवाल खड़े किए हैं।
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक खबर शेयर करते हुए लिखा कि मैंने कहा था कि वक्फ विधेयक अभी मुसलमानों पर हमला करता है लेकिन भविष्य में अन्य समुदायों को निशाना बनाया जाएगा और उन्होंने आगे लिखा कि वक्फ के बाद अब आरएसएस का ध्यान ईसाइयों की ओर जाने में ज्यादा समय नहीं लगा। संविधान ही एकमात्र ढाल है जो हमारे लोगों को ऐसे हमलों से बचाता है और इसकी रक्षा करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है।
राहुल ने जिस खबर को शेयर किया है उसमें लिखा कि संसद में वक्फ बिल के सफलतापूर्वक पारित होने के बाद आरएसएस का ध्यान कैथोलिक चर्च की भूमि पर चला गया है। आरएसएस से जुड़ी पत्रिका आॅर्गनाइजर के वेब पोर्टल पर भारत में किसके पास अधिक भूमि है? कैथोलिक चर्च बनाम वक्फ बोर्ड बहस शीर्षक से प्रकाशित लेख में दावा किया गया है कि कैथोलिक संस्थानों के पास 7 करोड़ हेक्टेयर भूमि है और इसे सबसे बड़ा गैर-सरकारी भूमि स्वामी बताया गया है।

भाजपा और संघ मुस्लिमों की जमीन हड़पना चाहते हैं: लालू
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी का जवाब दिया। लालू के आधिकारिक एक्स हैंडल पर भाषण का एक छोटा वीडियो क्लिप साझा किया गया। भाजपा और संघ के अज्ञानी मूर्खों की आलोचना करते हुए लालू ने शाह या किसी अन्य नेता का नाम लेने से परहेज किया। लिखा, मैंने वक्फ भूमि की रक्षा के लिए एक कड़े कानून की वकालत की थी, जिसे आप हड़पने की कोशिश कर रहे हैं।
वे पिछले सप्ताह वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा आयोजित धरना में शामिल हुए थे। इससे पहले विधेयक पर लोकसभा में चर्चा के दौरान गृह मंत्री शाह ने लालू के 2013 के भाषण का जिक्र किया था। बकौल शाह, लालू ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की तरफ से पेश किए गए वक्फ में और अधिक कड़े संशोधनों का आह्वान किया था। मांग करने में राजद भी शामिल था। शाह की टिप्पणी के जवाब में राजद सुप्रीमो ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, संसद सदस्य न होने के बावजूद मुझे आपके विचारों और आपकी चिंताओं में अपना नाम देखकर खुशी हुई। मुझे अफसोस है कि अल्पसंख्यकों, गरीबों, मुसलमानों और संविधान पर चोट करने वाले इस कठिन दौर में संसद में नहीं हूं अन्यथा अकेला ही काफी था। उन्होंने कहा अपनी विचारधारा, नीति और सिद्धांतों पर प्रतिबद्धता, अडिगता और स्थिरता ही मेरे जीवन की जमा पूंजी है।

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