नई दिल्ली, (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 1997 उपहार सिनेमा अंग्निकांड मामले के पीड़ितों के समूह की निवारक याचिका को खारिज कर दिया। इस फैसले के बाद अब तय है कि अंसल बंधु जेल नहीं जाएंगे। कोर्ट द्वारा 2015 में 60 करोड़ का जुर्माना भरने का निर्देश देने के बाद फिर से जेल जाने से बच गए थे।
प्रधान न्यायाधीश एस.ए.बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एसोसिएशन फॉर विक्टिम ऑफ उपहार ट्रेजडी (एववीयूटी) की निवारक याचिका पर विचार किया और इसे खारिज कर दिया।
इस पीठ में न्यायाधीश एन.वी.रमना और अरुण मिश्रा भी शामिल हैं।
कोर्ट ने कहा, “हमने क्यूरेटिव पिटीशन व प्रासंगिक दस्तावेजों पर विचार किया है। हमारी राय में कोई मामला नहीं बनता है..इसलिए क्यूरेटिव पिटीशन खारिज की जाती है।”
एवीयूटी ने अपने अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति के माध्यम से फैसले की समीक्षा की मांग की थी। एसोसिएशन ने शीर्ष कोर्ट में भाइयों के लापरवाही के लिए ज्यादा जेल की मांग करते हुए क्यूरेटिव पिटीशन दायर की। लापरवाही की वजह से भयावह आग ली और 59 लोगों की जान गई। इस घटना को बाद में उपहार त्रासदी के रूप में जाना जाता है।
शीर्ष कोर्ट ने अगस्त 2015 में अंसल बंधुओं को मुक्त कर दिया और प्रत्येक को 30-30 करोड़ रुपये का जुर्माना भरने को कहा।
फरवरी 2017 में, शीर्ष कोर्ट ने 2 : 1 बहुमत के फैसले के माध्यम से 78 वर्षीय सुशील अंसल को राहत दी और उनके अधिक उम्र से जुड़ी जटिलताओं का हवाला दिया।
हालांकि कोर्ट ने छोटे भाई गोपाल असंल को बाकी की एक साल की सजा को पूरा करने को कहा।
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जून, 1997 को फिल्म ‘बॉर्डर’ की स्क्रीनिंग के दौरान दक्षिण दिल्ली के
ग्रीन पार्क में स्थित उपहार सिनेमा में आग लग गई, जिसमें 59 लोगों की मौत
हो गई। यह भयावह त्रासदियों में से एक है।