आप फैमिली के साथ कहीं होटल में खाना खाने गए हों और गाड़ी बाहर पार्क कर दी हो या फिर पार्क में पिकनिक के लिए गए और गाड़ी वहीं खड़ी कर दी या फिर घर के बाहर गाड़ी पार्क की हो या फिर ऑफिस के बाहर की पार्किंग में पार्क की हो और जब बाहर आए तो गाड़ी गायब हो। ऐसे में हमें तुरंत क्या करना चाहिए? कानूनी जानकार बताते हैं कि अगर तुरंत तलाश करने पर गाड़ी न मिले तो सबसे पहले पुलिस को कॉल करना चाहिए और फिर थाने जाकर केस दर्ज करवाना चाहिए।
कानूनी जानकार बताते हैं कि गाड़ी चोरी का मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है और पुलिस को केस दर्ज करना अनिवार्य है। वरिष्ठ वकील रमेश गुप्ता बताते हैं कि गाड़ी चोरी होने की जैसे ही जानकारी हो सबसे पहले पुलिस को 100 नंबर पर डायल कर घटना के बारे में बताना जरूरी है। मान लीजिए कि गाड़ी चोरी होने के 3 घंटे बाद मालिक को इस बारे में पता चले तो उसी वक्त 100 डायल करना जरूरी है और तब पुलिस को इत्तला देनी होती है कि आमुख जगह आमुख काम से वह गया था और 3 घंटे बाद बाहर निकलने पर गाड़ी गायब थी। इससे उन 3 घंटो के दौरान अगर उस चोरी की गाड़ी से किसी वारदात को अंजाम दिया जाता है, तो भी मालिक का यह बचाव होगा। इसके बाद संबंधित थाने में इस बारे में शिकायत की जानी चाहिए, ताकि केस दर्ज हो सके।
ऐडवोकेट अमन सरीन के मुताबिक ऐसे मामले में ढ्ढक्कष्ट की धारा 379 के तहत केस दर्ज किए जाने का प्रावधान है और यह मामला गैर जमानती और संज्ञेय होता है। ष्टक्रक्कष्ट के मुताबिक ऐसे मामले में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। पहले से अगर 100 नंबर डायल हो रखा हो तो केस दर्ज करने के लिए एक अहम सपॉर्ट होता है, क्योंकि 100 के कॉल का रेकॉर्ड होता है और ऐसे में शिकायती की सचाई सामने होती है। 100 डायल करने पर पुलिस मौके पर आती है और थाने को भी सूचित कर देती है और लोकल पुलिस मौके पर आ जाती है और गाड़ी मालिक वहीं शिकायत दर्ज करा सकता है। साथ ही वायरलेस पर मेसेज फ्लैश हो जाता है, ताकि गाड़ी तलाश हो सके। अगर गाड़ी चोरी के बावजूद गाड़ी मालिक केस दर्ज नहीं करता तो ऐसी सूरत में अगर गाड़ी से मर्डर, लूट या ब्लास्ट वगैरह को अंजाम दिया जाए तो गाड़ी मालिक भी पुलिस के सामने संदिग्ध आरोपी होता है। अगर चोरी हुई गाड़ी इंश्योर्ड है, तो इंश्योरेंस क्लेम तभी मिलता है जब गाड़ी की चोरी की एफआईआर हो और पुलिस ने मामले में छानबीन के बाद फाइनल रिपोर्ट लगा रखी हो। छानबीन के बाद पुलिस फाइनल रिपोर्ट संबंधित इलाका मेजिस्ट्रेट के सामने लगाती है और वहीं से रिपोर्ट की कॉपी शिकायती को मिलती है, जो इंश्योरेंस क्लेम के लिए जरूरी होता है। बिना क्लेम के इंश्योरेंस नहीं मिलता।