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निर्भया मामला : मृत्युदंड पर रोक की 1 दोषी की याचिका खारिज

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अपडेटेड 18 मार्च 2020, 11:06 AM IST
निर्भया मामला : मृत्युदंड पर रोक की 1 दोषी की याचिका खारिज
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नई दिल्ली, (आईएएनएस)| दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक मुकेश द्वारा मृत्युदंड पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने याचिका खारिज करने के बाद मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया को स्थानांतरित कर दिया।

निर्भया कांड के चार दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जानी है। उसकी ओर से यह आवेदन वकील एम.एल. शर्मा ने किया है।

उसने अपनी याचिका में दोषी ने कहा है कि वर्ष 16 दिसंबर, 2012 को हुए इस अपराध के दौरान वह शहर में मौजूद नहीं था। अपने बचाव में उसने दावा किया है कि घटना के एक दिन बाद 17 दिसंबर, 2012 को उसे राजस्थान से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया।

उसने दावा किया है कि वर्तमान में वह जिस तिहाड़ जेल में बंद है, वहां उसे यातनाएं दी गईं।

आवेदन में कहा गया है कि ‘ड्राइवर और दुष्कर्मी’ के रूप में फंसाने के लिए राजस्थान के करोली से उन्हें उठाए जाने से संबंधित दस्तावेज छिपाए गए थे।

इसमें यह भी कहा गया कि मृतक राम सिंह (दोषियों में से एक) का विकलांगता प्रमाणपत्र, मुकेश की यातना और मौत की सजा दिलाने को लेकर किए गए भुगतान वाली चार करोड़ रुपये की रिश्वत को भी अदालत से छिपाया गया था।

शर्मा ने दावा किया कि अभियोजन पक्ष ने जानबूझकर मुकेश को ‘झूठा फंसाने’ के लिए दस्तावेजी साक्ष्यों को छिपाया। दोषी के वकील शर्मा ने अदालत को बताया कि दस्तावेज को छुपाना एक गंभीर धोखाधड़ी है।

सरकारी वकील (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) इरफान अहमद ने अदालत को कहा कि दोषी की ओर से किया गया आवेदन फांसी की सजा को टालने की तुच्छ रणनीति है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया (बदला हुआ नाम) के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले में बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था। नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी।

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