
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट को कलानिधि मारन को 380 करोड़ रुपये भुगतान करने का आदेश दिया
दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पाइसजेट को झटका देते हुए एयरलाइन को केएएल एयरवेज के कलानिधि मारन को 380 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है, साथ ही चार सप्ताह के भीतर संपत्ति का एक हलफनामा पेश करने को कहा है। न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने कहा : “चूंकि निर्णय देनदार डिक्री धारक को 75 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने में विफल रहा है, इसलिए माननीय के आदेश दिनांक 13.02.2023 के पैरा 15 (2) के संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय निर्णय देनदारों को ब्याज के रूप में पूरी बकाया राशि तुरंत जमा करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है, इसलिए ऐसा निर्देश दिया गया है। आज से चार सप्ताह के भीतर संपत्ति का शपथपत्र भी दाखिल किया जाए।”
हाईकोर्ट का आदेश सुप्रीम कोर्ट के 13 फरवरी के आदेश के बाद आया, जिसमें स्पाइसजेट के पूर्व प्रवर्तक कलानिधि मारन द्वारा नियंत्रित केएएल एयरवेज को तीन महीने के भीतर स्पाइसजेट को 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, एयरलाइन ऐसा करने में विफल रही।
हाईकोर्ट ने अपने 29 मई के आदेश में कहा : “डिक्री धारक के विद्वान वरिष्ठ वकील ने कहा कि 75 करोड़ रुपये की राशि अभी तक जमा नहीं की गई है और इसलिए ब्याज देनदारी 362.49 करोड़ रुपये थी, जैसा कि पैरा 11 में उल्लेख किया गया है। आदेश दिनांक 13.02.2023 से बढ़कर 380 करोड़ रुपये हो गया है और इस प्रकार डिक्री धारक आदेश दिनांक 13.02.2023 के अनुपालन के लिए जोर देता है।”
हाईकोर्ट का आदेश अनुबंध संबंधी दायित्वों को लेकर मारन परिवार व प्रमोटर अजय सिंह और स्पाइसजेट के बीच लंबे समय से चल रही लड़ाई के बाद आया है।
हाईकोर्ट ने 29 मई के आदेश में कहा : “विद्वान वरिष्ठ वकील ने कहा है कि वे पहले ही 579.08 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान कर चुके हैं और अब केवल ब्याज के रूप में भुगतान लंबित है और उन्होंने पहले ही एक आवेदन दायर कर दिया है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने डिक्री धारक को 75 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए निर्णीत ऋणी को और तीन महीने का समय देने के लिए कहा है।”
हाईकोर्ट ने कहा कि डिक्री धारक की दलीलें विश्वसनीय लगती हैं, क्योंकि माना जाता है कि शीर्ष अदालत द्वारा पारित 13 फरवरी के आदेश में कोई संशोधन नहीं किया गया है, इसलिए इसका पालन करने की जरूरत है।
नंदिनी गोर, सोनिया निगम, यश दुबे और करंजवाला एंड कंपनी के यशवंत गग्गर की सहायता से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह केएएल एयरवेज की ओर से पेश हुए।
केएएल एयरवेज का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि स्पाइसजेट ने संपत्ति का हलफनामा दाखिल नहीं करके दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी 4 नवंबर, 2020 के आदेश की अवहेलना की है।
इसके अलावा, स्पाइसजेट को 2 सितंबर, 2020 को हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश से तीन सप्ताह के भीतर 242,93,70,845.56 रुपये की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था। स्पाइसजेट ने इस आदेश को संशोधित करने की मांग की, लेकिन उनका आवेदन खारिज कर दिया गया। फिर उन्होंने इन आदेशों को शीर्ष अदालत के समक्ष चुनौती दी, जिसने उन्हें 13 फरवरी, 2023 के एक आदेश के माध्यम से बैंक गारंटी को भुनाने और केएएल एयरवेज को सीधे निर्दिष्ट राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप के बावजूद स्पाइसजेट को तीन महीने के भीतर केएएल एयरवेज को 75 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि का भुगतान करना था।
सिंह ने आगे तर्क दिया कि 75 करोड़ रुपये की राशि अभी तक जमा नहीं की गई है, जिसके परिणामस्वरूप 380 करोड़ रुपये की ब्याज देनदारी बढ़ गई है। सिंह ने कहा कि ब्याज राशि के भुगतान की समय सीमा पहले ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित की जा चुकी है और एकल न्यायाधीश के पास समय सीमा बढ़ाने का अधिकार नहीं है।