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पेरेंट्स के साथ-साथ जरूरी है बच्चों के लिए दादा-दादी का प्यार

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अपडेटेड 01 फ़रवरी 2020, 1:28 PM IST
पेरेंट्स के साथ-साथ जरूरी है बच्चों के लिए दादा-दादी का प्यार
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आज के समय में अपनी मर्जी और आजादी से जिंदगी जीने के कारण लोग शादी के बाद न्यूक्लियर फैमिली में रहना पसंद करते है। ऐसे में वर्किंग पेरेंट्स होने से वे बच्चों को पूरा समय न देने के साथ उनका अच्छे से ध्यान भी नहीं रख पाते। असल में किसी भी घर में बड़े बुजुर्गों का होना बेहद जरूरी होता है। वे घर के लोगों को एकता और मजबूती की डोरी में बांधने का काम करते है। साथ ही बच्चे उनसे कई तरह के गुण सीखते है। तो चलिए आज हम आपको बताते है कि घर में दादा-दादी का होना क्यों जरूरी है।

इमोशनली अटैचमेंट

आज के दौर में दोनों पति-पत्नि जॉब करना पसंद करते है। दोनों वर्किंग होने से बच्चों का अच्छे से ध्यान न रखने के कारण वे उनके लिए केयरटेकर रखते है। हालांकि केयरटेकर बच्चों की बखूबी केयर करते हो पर फिर वे उन्हें इमोशनली स्ट्रांग नहीं कर पाते। साथ ही बच्चे भी उनसे अपनी बातें और फीलिंग्स को शेयर नहीं कर पाते। ऐसे में घर पर बड़े बुजुर्गों के होने से एक तो बच्चे पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे और उनके साथ अपना क्वालिटी टाइम बीताकर इमोशनली अटैच होंगे।

मिलती है अच्छी सीख

मां-बाप चाहे जितना मर्जी पढ़े-लिखे हो लेकिन जो घर के बुजुर्ग बच्चों को सीख दे सकते है वे पेरेंट्स नहीं दे सकते। क्योंकि बिजी लाइव स्टाइल और काम का अधिक प्रेशर होने पर पेरेंट्स अक्सर टेंशन में रहते है जिसके कारण वे बच्चों को अच्छे से समझ और समझा नहीं पाते। ऐसे में दादा-दादी का बच्चों से एक अलग ही लगाव होता है। साथ ही उन्होंने आपसे ज्यादा दुनिया देखी और समझी होती है जिसके कारण उनका बच्चों को बातें समझाने का ढंग एकदम शांत और सरल होता है। इसके अलावा वे उन्हें अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर सीख देते है। 

अकेलापन होता है दूर

घर में दादा-दादी होने से बच्चों को अकेलापन महसूस नहीं होता। चाहे पेरेंट्स घर न हो लेकिन बच्चे के स्कूल से घर आने पर उसे ग्रेंड पेरेंट्स मिले तो वो उनके साथ रहकर अच्छा समय बीताता है। ऐसा होने से बच्चे की उनके साथ अच्छी बॉन्डिंग होती है। साथ ही उनसे संस्कार, अच्छी बातें और फैमिली वैल्यूज सीखते है। वे अपने से बड़ों का आदर, छोटो से प्यार और चीजों को शेयर करना आदि अच्छी बातों को सीखते है।

परंपराओं और रीति-रिवाजों की जानकारी

आज के जमाने में लोग अपनी पुरानी परंपराओं, संस्कारों और रीति-रिवाजों को भूलते जा रहें है जिसका कारण घर में बड़े बुजुर्गों का न होना है। ऐसे में घर के बड़े-बूढ़े होने से बच्चे उन्हें पुरानी परंपराओं को करते और मानते हुए देखते है और खुद भी उन्हें फॉलो करते है। इससे उन्हें अपने रीति-रिवाजों के साथ यह पता चलता है कि किस व्रत और त्योहारों का क्या महत्व है। उसे मनाने के पीछे का कारण जानकर वे त्योहारों को मनाने की चाह भी रखते है। 

नैतिक शिक्षा

दादा-दादी बच्चों को प्यार करने के साथ उन्हें नैतिक शिक्षा भी देते है। वे बच्चों को हर चीज बेहतर तरीके से समझाते है। वे उन्हें शांति और उनके मुताबिक बात समझाने के साथ उनकी परेशानियों का हल भी निकालते है। बच्चों को भी उनसे कहानियां और मजेदार बाते सुनने में आनंद मिलता है। 

कैसे रखा जाए बच्चों को दादा- दादी के करीब

जैसा कि हमने आपको बताया कि लोग न्युकिलर फैमिली में रहना पसंद करते है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपनी जॉब की मजबूरी के कारण अपने बड़ों से दूर रहते है। ऐसे में बच्चे अपने दादा-दादी से अच्छे संस्कार नहीं पा पाते। तो इसके लिए अपने बिजी शेड्यूल से टाइम निकाल कर अपने बच्चों को उनके पास जरूर लेकर जाए और मिलवाए।

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