अक्सर देखा जाता है कि बेटियों को स्कूल जाने से लेकर कॉजेल के दौरान कई हिदायतें दी जाती है। मगर, बेटे के लिए किसी बात की रोक-टोक नहीं होती लेकिन सिर्फ बेटी और बेटे दोनों को घर की जिम्मेदारियों के साथ कुछ जरूरी बातें सिखाना जरूरी है। ना सिर्फ घर के काम बल्कि बेटे को भी बड़ों व लड़कियों का आदर सम्मान करना सिखाना चाहिए। बेटों को दिए गए आपके संस्कार ही उन्हें भविष्य में जिम्मेदार और आदर्श व्यक्ति बनाते हैं।
बेटों को कभी न चढाएं सिर पर
कुछ घरों में बड़े-बुजुर्ग बेटों को घर का चिराग कह कर सिर पर चढ़ा लेते हैं, जोकि गलत है। आज के समय में बेटियां भी बेटों से कम नहीं है।ऐसी बातें सुन कर बेटे बिगड़ जाते हैं। इसलिए बेटों को घर का चिराग कहकर सिर पर चढ़ाना गलत होगा।
किचन सिर्फ लड़कियों के लिए नहीं
अक्सर मां अपने बेटे को किचन का कोई काम करने नहीं देती लेकिन आज के दौर में लड़को को भी किचन का काम आना चाहिए।
महिलाओं का सम्मान
अगर आप चाहती हैं कि समाज में औरत की स्थिति बेहतर हो तो अपने घर में बेटे से शुरुआत करें। उन्हें सिखाएं कि घर या बाहर कैसा व्यवहार करना है। उन्हें नारी का सम्मान करना सिखाएं। बचपन से मिली इस शिक्षा के कारण वह हर रिश्ते एवं बाहर की महिलाओं का भी सम्मान करेगा और उनसे आदर से बात करेगा।
इमोशनल होना नहीं है गलत
अक्सर माता-पिता अपने बेटे को कहते हैं कि मर्द रोते नहीं लेकिन इमोशनल कोई गलत बात नहीं है। ऐसा करके आप बच्चे को कठोर बना देती हैं और फिर वह किसी ओर की भावनाओं को भी नहीं समझता।
लड़ाई-झगड़े से रखें दूर
अगर बेटा बाहर से लड़ाई-झगड़ा करके आता है तो उसे बढ़ावा ना दें बल्कि उन्हें बताए की मार-पीट करना गलत है।
ये काम जरूर सिखाएं
बेटे को भी खुद के कपड़े धोना, बाहर से सामान लेना, खाना बनाना जरूर सिखाएं, ताकि अगर उसे पढ़ाई के या काम के लिए घर से दूर जाना पड़े तो किसी तरह की मुश्किल न हो।
कैसे करें शुरुआत?
-अगर बेटा छोटा है तो उसे छोटे मोटे काम में हाथ बंटाने को बोलें। उसे मार्किट से साफ-सफाई के अलावा घर का सामान लाने की जिम्मेदारी दें। छुट्टियां होने पर बेटे को रसोई घर का काम सिखाएं।
-छोटे-बड़े सभी का सम्मान करना सिखाएं। साथ ही बेटे को बताएं कि उसे मन में सभी के प्रति दया भाव रखना चाहिए।