बीएनटी न्यूज, नई दिल्ली। अक्सर आपने मरीजों से यह कहते सुना होगा कि आज वह दवा लेना भूल गए। कुछ लोग इस बात को छिपा लेते हैं, जिससे इलाज पर असर पड़ता है। अब इस समस्या से निजात मिलने वाली है। अमेरिका में पहली बार एक डिजिटल पिल को मान्यता दी गई है, जिससे एक सेंसर जुड़ा होता है। इस डिवाइस से डॉक्टर को पता चल जाएगा कि आपने कब और कौन सी दवा ली है। दरअसल, मरीज की बीमारी के हिसाब से डॉक्टर दवा का डोज तय करते हैं और अगर सही दवा, सही समय पर नहीं ली गई तो मुश्किल बढ़ जाती है। भागदौड और आपा धापी भरी जिंदगी के कारण ही यह नौबत आई कि बीमार व्यक्ति समय से डॉवा लेना ही भूल जाता है, वैसे डिजिटल पिल कारगर साबित नही होगी।
फूड ऐंड ड्रग ऐडमिनिस्ट्रेशन ने इस डिवाइस पर मुहर लगा दी। यह डिजिटल डिवाइस तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण को दर्शाती है, जिससे दवा की निगरानी की जा सकती है। साथ ही इस डिवाइस से खर्च बचेगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह समस्या किसी एक देश की नहीं है। लाखों मरीजों के साथ ऐसी समस्या देखने को मिलती है कि वह अक्सर डॉक्टर के अनुसार दवाएं नहीं ले पाते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग मेडिकल सेंटर के हेल्थ प्लान डिविजन के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ. विलियम श्रैंक ने कहा, हर मरीज के हिसाब से दवा और लाइफस्टाइल अपनाने को कहा जाता है पर अगर वह वैसा नहीं करता है तो मरीज की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और खर्चा भी बढ़ जाता है।
परिवार तक पहुंचेगा डेटा
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन इंस्ट्रक्टर अमीत सरपटवारी ने कहा कि डिजिटल पिल से पब्लिक हेल्थ को बेहतर बनाया जा सकता है। इसका फायदा खासतौर से उन लोगों को होगा जो दवा खाकर भूल जाते हैं। डिजिटल निगरानी के लिए अगर मरीज सहमति जताता है तो डॉक्टर के अलावा परिवार के चार अन्य लोगों के पास यह इलेक्ट्रॉनिक डेटा पहुंच जाएगा। इससे साफ पता चल जाएगा कि मरीज ने किस तारीख को किस समय पर दवा ली है।
गौरतलब है कि डिजिटल टूल में ऐप्लिकेशन के इस्तेमाल के साथ घड़ी की तरह पहनने की भी जरूरत पड़ती है। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस डिवाइस से बुजुर्गों को फायदा होगा, जिनके लिए सही समय पर दवा लेना काफी जरूरी होता है। जैसे, टीबी के मरीजों के लिए नर्सों को यह देखना पड़ता है कि दवा सही समय पर ली जा रही है या नहीं।
कैसे करता है काम
पिल का नाम एआईबीएफ माइकाइट है, जो एक छोटे से सेंसर से कनेक्टेड होती है। इसी सेंसर की मदद से पैच को सूचना मिलती है, जो मरीज पहने रहता है। पैच इस मेडिकेशन डेटा को स्मार्टफोन के ऐप्लिकेशन तक पहुंचाता है। इसे मरीज चाहे तो अपने डॉक्टर के लिए अपलोड कर सकता है। दरअसल एआईबीएफ एक दवा है जिससे मानसिक रोगियों, अवसाद आदि का इलाज किया जाता है।