बीएनटी न्यूज़
अगरतला। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को पूर्वोत्तर क्षेत्र और पड़ोसी देशों में सुरक्षा को मजबूत करने तथा पुलिसिंग में मानक स्थापित करने के लिए त्रिपुरा में केंद्रीय डिटेक्टिव ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (सीडीटीआई) की आधारशिला रखी।
गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के अंतर्गत 120 करोड़ रुपये की लागत से अगरतला में सीडीटीआई की स्थापना की जाएगी।
गृह मंत्री ने धलाई जिले के कुलाई आरएफ गांव मैदान में आयोजित एक समारोह में 668.39 करोड़ रुपये की लागत वाली 13 विकास परियोजनाओं का वर्चुअल उद्घाटन और शिलान्यास किया। सीडीटीआई उन 13 परियोजनाओं में से एक है।
एक अधिकारी ने बताया कि सीडीटीआई स्थापित करने की इस महत्वपूर्ण पहल का मुख्य उद्देश्य आठ पूर्वोत्तर राज्यों और पड़ोसी देशों में सुरक्षा को मजबूत करना है, साथ ही क्षेत्र में पुलिसिंग के उच्च मानक स्थापित करना भी है।
अधिकारी ने कहा, “शिलांग में पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के 69वें पूर्ण अधिवेशन के दौरान पूर्वोत्तर क्षेत्र की विशिष्ट सुरक्षा चुनौतियों का अध्ययन करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से एक अकादमिक अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की सिफारिश की गई थी।”
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा सरकार ने प्रस्तावित सीडीटीआई की स्थापना के लिए पश्चिम त्रिपुरा जिले के जिरानिया उप-मंडल में 9.57 एकड़ भूमि आवंटित की है। जिरानिया में आवंटित भूमि का डिजिटल सर्वेक्षण पहले ही पूरा हो चुका है।
अधिकारी के अनुसार, गृह मंत्रालय ने सीडीटीआई के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पहले ही 120 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं।
अधिकारी ने बताया कि अगरतला स्थित सीडीटीआई में प्रतिवर्ष पूर्वोत्तर राज्यों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के 6,000 से अधिक कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संस्थान में अत्याधुनिक सुविधाएं जैसे एडवांस क्लासरूम, सिमुलेशन लैब, आईटी डाटा केंद्र और व्यावहारिक प्रशिक्षण क्षेत्र उपलब्ध होंगे, जो पुलिस कर्मियों को आधुनिक कौशल प्रदान करेंगे।
उन्होंने कहा कि प्रस्तावित संस्थान आठ राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा में आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण तथा अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करेगा।
संस्थान में एक समर्पित शैक्षणिक अनुसंधान केंद्र भी होगा, जो शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग से आतंकवाद विरोधी उपायों, सीमा प्रबंधन, मानव तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध प्रवास और हथियारों की तस्करी जैसी प्रमुख सुरक्षा चुनौतियों का अध्ययन करेगा।