BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   मंगलवार, 01 अप्रैल 2025 04:54 AM
  • 20.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. पीएम मोदी ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के सलाहकार मोहम्मद यूनुस को दी ईद-उल-फितर की शुभकामनाएं
  2. आईपीएल 2025 : मुंबई इंडियंस ने कोलकाता नाइट राइडर्स को आठ विकेट से हराया, रियान रिकल्टन और अश्विनी कुमार चमके
  3. भाजपा सांसद दीपक प्रकाश का सीएम ममता बनर्जी पर बड़ा हमला, कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
  4. कैथोलिक बिशप काउंसिल ने की वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करने की अपील : किरेन रिजिजू
  5. उत्तराखंड में सरकार ने चार जिलों में 15 स्थानों के नाम बदले
  6. राहुल गांधी की अन्नपूर्णा देवी को चिट्ठी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की समस्याओं का जिक्र किया
  7. पंजाब में किसानों का बड़ा प्रदर्शन, मंत्रियों और विधायकों के घरों का किया घेराव
  8. भाजपा को ‘नाम और छुआछूत’ में विश्वास : प्रियंका कक्कड़
  9. वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वालों को किरेन रिजिजू का जवाब, संसद में खुली बहस की अपील
  10. विपक्ष के लोग वक्फ संशोधन बिल पर गुमराह कर देश में फैलाना चाहते हैं अस्थिरता : जगदंबिका पाल
  11. यूसीसी की गंगोत्री किसी न किसी रूप में सभी को लाभ देगी : पुष्कर सिंह धामी
  12. अमित शाह बार-बार आएंगे बिहार, आरजेडी का होगा सफाया : नीरज कुमार
  13. मेरी मां शीला दीक्षित आज भी लोगों के दिलों में जिंदा : लतिका
  14. म्यांमार : विनाशकारी भूकंप के बाद महसूस किए गए 36 झटके, 1700 की मौत, 3400 घायल
  15. मॉरीशस यात्रा, आरएसएस मुख्यालय, गिर पार्क और अन्य कार्यक्रम, कुछ ऐसा रहा पीएम मोदी का मार्च महीना

कांग्रेस, आप और सीपीआई ने यूसीसी समिति के सामने सुझाव रखने से बनाई थी दूरी : मनु गौड़

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 28 जनवरी 2025, 10:21 PM IST
कांग्रेस, आप और सीपीआई ने यूसीसी समिति के सामने सुझाव रखने से बनाई थी दूरी : मनु गौड़
Read Time:7 Minute, 42 Second

बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू हो गई है। ऐसे में यूसीसी के ड्रॉफ्ट को बनाने के लिए जो शत्रुध्न सिंह की कमेटी बनी थी उसके सदस्य मनु गौड़ ने बीएनटी न्यूज़ से खास बातचीत की। उन्होंने यूसीसी को लेकर सरकार के दृष्टिकोण, जनता के सुझावों और इसके फायदे के बारे में बताया।

मनु गौड़ ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यह घोषणा की थी कि अगर उनकी सरकार फिर से सत्ता में आती है, तो समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। जनता ने उन्हें समर्थन दिया और उनकी सरकार बनी। इसके बाद, अपनी पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री ने यूसीसी के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजना पी देसाई ने की। इस समिति में पूर्व जस्टिस प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर सुरेखा डंगवाल जैसे विशेषज्ञ शामिल थे।

उन्होंने कहा कि समिति ने सबसे पहले इस बात पर जोर दिया कि समान नागरिक संहिता का उद्देश्य महिलाओं को समान अधिकार दिलाना है, जैसा कि मुख्यमंत्री धामी ने यूसीसी के लॉन्चिंग कार्यक्रम के दौरान भी कहा था। उन्होंने कहा कि यह कानून आधी आबादी यानी महिलाओं के लिए है, जो आजादी के इतने वर्षों बाद भी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रही थीं और उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा था।

गौड़ के अनुसार, समिति ने यह निर्णय लिया कि यूसीसी को जनता के हित में लागू किया जाए। इसके लिए, प्रदेश में जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किए गए और विभिन्न माध्यमों से लगभग 2.5 लाख सुझाव प्राप्त हुए। गौड़ ने कहा कि उत्तराखंड की कुल जनसंख्या लगभग 1.25 करोड़ है और राज्य में करीब 25 लाख परिवार रहते हैं। ऐसे में इस आंकड़े से यह साफ है कि लगभग 10 प्रतिशत परिवारों ने इस प्रक्रिया में भाग लिया और अपने सुझाव दिए। इसमें धार्मिक संगठन, धर्मगुरु, अधिवक्ता, समाजिक संगठन, राजनीतिक दल (2022 के चुनाव में शामिल होने वाले) से भी विचार-विमर्श हुआ। इन सभी से सुझाव लिया गया और 10 में से 7 राजनीतिक दलों ने इसके लिए अपने सुझाव दिए। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सीपीआई ने इससे दूरी बनाई, इन दलों से कोई सुझाव नहीं आया।

उन्होंने बताया कि जनता से प्राप्त सुझावों में सबसे जरूरी चीज निकलकर सामने आई वह यह थी की जनता की कठिनाइयों को कैसे दूर किया जाए। इस सुझावों के आधार पर समिति ने कई महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की। विशेष रूप से विवाह रजिस्ट्रेशन और वसीयत के पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक ऑनलाइन वेब पोर्टल तैयार करने की बात की गई। इससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर कम होंगे और विवाह रजिस्ट्रेशन, तलाक का पंजीकरण और संपत्ति संबंधित मामलों में समय की बचत होगी। यह डेटाबेस सरकार को मदद करेगा और भविष्य में संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने में मदद मिलेगी। जैसे कि किसी परिवार के वारिस संपत्ति को लेकर लड़ते हैं और सालों तक कोर्ट में केस चलता है, लेकिन अगर उनकी जानकारी सरकार के डेटाबेस में पहले से ही मौजूद होगी कि कौन किसका वारिस है और उसकी कितनी संपत्ति है तो यह एक क्लिक में सामने आ जाएगा।

मनु गौड़ ने आगे बताया कि विभिन्न धार्मिक संगठनों से भी सुझाव प्राप्त हुए। सिख समुदाय की ओर से यह सवाल उठाया गया कि उनके यहां आनंद कारज की परंपरा है, तो क्या समान नागरिक संहिता लागू होने से इसमें कोई बदलाव आएगा? इस पर स्पष्ट किया गया कि रिति-रिवाज में कोई परिवर्तन नहीं होगा, बस विवाह के पंजीकरण को अनिवार्य किया जाएगा, जो विदेश यात्रा सहित कई कामों के लिए पहले से आवश्यक है।

उन्होंने आगे कहा कि समान नागरिक संहिता के सबसे बड़े विवादों में से एक संपत्ति के अधिकारों को लेकर था, खासकर बेटियों को बराबरी का अधिकार देने के मुद्दे पर। मनु गौड़ ने इसे समाज में एक बड़ी चुनौती बताया, क्योंकि भारतीय समाज पुरुष प्रधान है और ऐसे में कई लोग नहीं चाहते कि महिलाओं को संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिले। हालांकि, समिति और सरकार का उद्देश्य था कि हर व्यक्ति को समान अधिकार मिले, चाहे वह पुरुष हो या महिला।

इसके अलावा, हिंदू समाज में विवाह को एक संस्कार माना जाता है, जबकि अन्य धर्मों में इसे एक समझौता (कॉन्ट्रैक्ट) माना जाता है। मनु गौड़ ने यह उदाहरण भी दिया कि जब हिंदू धर्म में तलाक की व्यवस्था को जोड़ा गया, तो समाज ने इसे स्वीकार किया। समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद, यदि कोई महिला या पुरुष तलाक के बाद अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है, तो वह भी इस कानून का लाभ उठा सकेगा। उन्होंने कहा कि तलाक के बाद महिलाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ता था, जैसे कि उन्हें खर्च के लिए जरूरी सहारा नहीं मिलता और उनके बच्चों का भरण-पोषण भी ठीक से नहीं हो पाता। इस पर ध्यान देते हुए, समिति ने एक मजबूत कानूनी ढांचा तैयार किया, जिससे महिलाओं को न्याय मिल सके और वह समाज में अपने अधिकारों का दावा कर सके। गौड़ ने दावा किया कि यूसीसी हर समुदाय की महिलाओं को लाभ पहुंचाएगा और यह कानून समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देगा।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *