
बीएनटी न्यूज़
रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने गंगा नदी में साहिबगंज से मनिहारी घाट तक फेरी सेवा के संचालन के लिए नीलामी की प्रक्रिया पर रोक लगाए जाने के बावजूद इसका विज्ञापन जारी करने पर गहरी नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश एम.एस. रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले में साहिबगंज के अपर समाहर्ता के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है।
अदालत ने उनसे पूछा है कि हाई कोर्ट के आदेश की अवहेलना करने पर “क्यों नहीं आपके खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाए”? इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 8 अप्रैल निर्धारित की गई है।
अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि या तो संबंधित अधिकारी को कोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता है, या फिर उन्होंने जानबूझकर कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए फिर से वही विज्ञापन जारी कर दिया है, जिस पर रोक लगाई गई थी।
इस मामले में अंकुश राजहंस की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। मंगलवार को अदालत में सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव और पार्थ जालान ने कहा कि विभिन्न घाटों से होकर चलने वाली फेरी सेवा के लिए नीलामी प्रक्रिया पर हाई कोर्ट ने 15 जनवरी को रोक लगा दी थी। इसके बावजूद साहिबगंज के अपर समाहर्ता ने फिर से पूर्व में जारी विज्ञापन को हूबहू प्रकाशित कर दिया। अधिवक्ताओं ने प्रकाशित विज्ञापन की प्रति भी कोर्ट में प्रस्तुत की।
दाखिल याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार की ओर से जारी विज्ञापन में शामिल गरम घाट और कुरसेला वैध नहीं हैं। इन्हें सरकार की ओर से अधिसूचित नहीं किया गया है। इसके अलावा विज्ञापन में अंकित एमआरए (मालवाहक रूट अंकन) रूट भी झारखंड सरकार की अधिसूचना के अनुरूप नहीं है। इसलिए फेरी सेवा के लिए विज्ञापन जारी करना गलत है।